07 July 2025

प्रेस विज्ञप्ति: विद्यालय विलय नीति के विरोध पर बेसिक शिक्षा मंत्री ने शिक्षक संगठनों के साथ की बैठक

 

`प्रेस विज्ञप्ति`


*विद्यालय विलय नीति के विरोध पर बेसिक शिक्षा मंत्री ने शिक्षक संगठनों के साथ की बैठक*


`लखनऊ : 07 जुलाई 2025` 

विद्यालय विलय को लेकर हो रहे चौतरफा विरोध के बीच *बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह* ने लखनऊ स्थित अपने आवास पर मान्यता प्राप्त शिक्षक संगठनों के प्रमुख पदाधिकारियों के साथ बैठक की और विद्यालय विलय से छात्रों और शिक्षकों पर पड़ने वाले प्रभावों पर गंभीरता से विचार विमर्श किया।

 इस दौरान राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री महोदय को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें विद्यालय विलय की नीति के दुष्प्रभावों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया।

*प्रदेश महामंत्री भगवती सिंह* ने कहा कि इस नीति से ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की शिक्षा बाधित होगी। विद्यालय केवल शिक्षा का केंद्र नहीं होता, वह सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र भी होता है। विलय से यह जुड़ाव टूट जाएगा। विद्यालयों का जबरन विलय न केवल विद्यार्थियों के लिए असुविधाजनक होगा, बल्कि इससे समाज में शिक्षा के प्रति विश्वास भी कमजोर होगा। सरकार को शिक्षा का अधिकार अधिनियम के मूल उद्देश्यों को ध्यान में रखना चाहिए।

*प्रदेशीय संगठन मंत्री शिवशंकर सिंह* ने कहा कि विद्यालय विलय से बाल अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अनुसार, 1 किमी के भीतर प्राथमिक विद्यालय की उपलब्धता अनिवार्य है। विलय से यह प्रावधान प्रभावित होता है।

*प्रदेश मंत्री सुनील कुमार रावत* ने कहा कि विद्यालयों में कम नामांकन का एक प्रमुख कारण इन विद्यालयों में मूलभूत अवस्थापना सुविधाओं का अभाव व शिक्षकों की कमी से शिक्षा की गुणवत्ता का प्रभावित होना है। इसलिए परिषदीय विद्यालयों को बंद करने की जगह उनमें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए।

*प्रदेश मीडिया प्रभारी बृजेश श्रीवास्तव* ने कहा कि विलय के बाद स्कूल दूर होने से छोटे बच्चों को लंबे रास्ते तय करने पड़ेंगे जिससे वे विद्यालय जाना छोड़ सकते हैं। बालिकाओं की शिक्षा विशेष रूप से प्रभावित होगी क्योंकि अभिभावक उन्हें दूर भेजने में संकोच करते हैं। 

महासंघ ने मांग की कि इस नीति को तत्काल प्रभाव से रोका जाए और इसके स्थान पर वैकल्पिक समाधान जैसे शिक्षकों की नियुक्ति, आधारभूत संरचना में सुधार और स्थानीय समुदाय की भागीदारी को प्राथमिकता दी जाए।

प्रतिनिधिमंडल ने विभागीय अधिकारियों द्वारा आरटीई की गलत व्याख्या कर प्राथमिक विद्यालयों में 150 से कम बच्चों पर और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 100 से कम बच्चों पर प्रधानाध्यापक पद न मानने को गलत ठहराया और आरटीई की पुनः सही व्याख्या कराने की मांग उठाई। अंतःजनपदीय स्थानांतरण/समायोजन में प्राथमिक विद्यालयों के जिन प्रधानाध्यापकों ने विकल्प में प्र०अ० पद वाला विद्यालय वरीयता में भरने पर भी जूनियर में सहायक अध्यापक पद वाला विकल्प आवंटित हो गया है उनको अनिवार्य कार्यमुक्ति हेतु बाध्य न करने और अगले समायोजन में पुनः विकल्प लेकर प्रधानाध्यापक पद पर भेजने, 1 अप्रैल 2005 के पूर्व विज्ञापित पदों के सापेक्ष नियुक्त शिक्षकों को पुरानी पेंशन से आच्छादित करने, शिक्षामित्रों व अनुदेशकों के मानदेय की वृद्धि करने करने सहित अन्य ज्वलंत समस्याओं को रखा।

*मंत्री महोदय ने महासंघ की चिंताओं को गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया कि विद्यालय विलय से होने वाले दुष्प्रभावों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है, न कि किसी को वंचित करना। अन्य समस्याओं को भी शीघ्र निस्तारित करने का आश्वासन दिया।*

बैठक में अपर शिक्षा निदेशक राजेंद्र प्रसाद यादव, एडी बेसिक लखनऊ श्यामकिशोर तिवारी, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ लखनऊ के जिलाध्यक्ष अनुराग सिंह राठौर, जिला संगठन मंत्री आशीष मिश्रा सहित विभिन्न शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।



शान्ति भूषण वर्मा 

मण्डल/जिलाध्यक्ष 

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उ प्र ,मुरादाबाद, प्राथमिक संवर्ग