*आदेश (WRIT - C No. - 6290/6292 of 2025) को सरल हिंदी में बिंदुवार (point-wise)*
🔷 मामले का संक्षिप्त विवरण:
1. यह आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट, लखनऊ खंडपीठ द्वारा दिनांक 07.07.2025 को पारित किया गया।
2. याचिकाकर्ता: कुछ छात्र/छात्राओं की ओर से उनके अभिभावकों द्वारा दायर किया गया।
3. प्रतिवादी: उत्तर प्रदेश सरकार, विशेष रूप से बेसिक शिक्षा विभाग।
🔷 मामले का मुख्य मुद्दा:
सरकार ने 16 जून 2025 को एक शासनादेश जारी किया जिसमें राज्य सरकार द्वारा संचालित और बीएसए के अंतर्गत चलने वाले स्कूलों को आपस में जोड़ने (pairing/merging) का निर्णय लिया गया।
इसके तहत 24 जून 2025 को 105 स्कूलों की सूची जारी की गई जिनका आपस में pairing किया जाना था।
🔷 याचिकाकर्ता की दलीलें:
1. अनुच्छेद 21-A (Right to Education) के तहत 6-14 वर्ष की उम्र के बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा पाने का मौलिक अधिकार है।
2. RTE Act, 2009 और UP Rules, 2011 के अनुसार:
कक्षा 1-5 के लिए स्कूल 1 किलोमीटर के अंदर होना चाहिए (यदि 300 की जनसंख्या हो)।
कक्षा 6-8 के लिए स्कूल 3 किलोमीटर के अंदर होना चाहिए (यदि 800 की जनसंख्या हो)।
3. स्कूलों का pairing करने से कई बच्चों को 1 किमी से दूर जाना होगा, जो नियमों और उनके अधिकारों के खिलाफ है।
4. ये pairing मौजूदा स्कूलों को बंद करने जैसा है, जिससे बच्चों को असुविधा होगी।
5. याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि शासनादेश केवल कार्यकारी आदेश (executive instruction) है, और कानून नहीं है, इसलिए यह मौलिक अधिकारों को नहीं हटा सकता।
🔷 राज्य सरकार की दलीलें:
1. NEP 2020 (राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020) के तहत स्कूलों का pairing एक नीतिगत निर्णय है, जिससे संसाधनों का बेहतर उपयोग हो।
2. बहुत से स्कूलों में शून्य छात्र हैं या बहुत कम नामांकन है, जिससे संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है।
3. pairing से गुणवत्ता बढ़ेगी, शिक्षक-छात्र अनुपात संतुलित होगा और सुविधाएं बेहतर होंगी।
4. केवल 210 स्कूलों का pairing किया जा रहा है, जो पूरे प्रदेश के स्कूलों का बहुत छोटा हिस्सा है।
5. बच्चों के अधिकारों का हनन नहीं हो रहा, और जहां दूरी ज्यादा है वहां फ्री ट्रांसपोर्ट आदि की सुविधा दी जाएगी।
🔷 अदालत का विचार:
1. Article 21A के तहत बच्चों को शिक्षा का अधिकार है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि राज्य संसाधनों का उपयोग नहीं सुधार सकता।
2. यदि pairing से शिक्षा की गुणवत्ता सुधरती है, तो यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह ऐसा करे।
3. याचिकाकर्ता यह साबित नहीं कर सके कि pairing से बच्चों को वास्तव में नुकसान हो रहा है।
4. सरकार pairing के बाद भी यह सुनिश्चित कर रही है कि शिक्षा में रुकावट न हो।
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🔷 न्यायालय का निर्णय (Final Judgment):
1. याचिका खारिज कर दी गई।
2. कोर्ट ने कहा कि सरकार का निर्णय NEP 2020 और RTE कानून के अनुरूप है।
3. यह फैसला शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए किया गया है, और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता।