07 July 2025

स्कूल मर्जर कोर्ट आर्डर कॉपी यहाँ से करें डाउनलोड

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इस निर्णय (Writ-C No. 6290/2025 और 6292/2025) में याचिका को खारिज करने का मुख्य आधार यह है कि राज्य सरकार द्वारा स्कूलों के "pairing" (यानी दो या अधिक विद्यालयों को एकीकृत करने) की नीति अनुच्छेद 21A (Right to Education) अथवा RTE Act, 2009 या राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का उल्लंघन नहीं करती है। साथ ही, यह भी कहा गया कि नीति निर्णय (policy decision) होने के कारण इसे तब तक न्यायिक समीक्षा में नहीं लाया जा सकता जब तक कि वह मनमाना (arbitrary), दुर्भावनापूर्ण (malafide) या मौलिक अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन न हो।

मुख्य टिप्पणियाँ (Observations of the Court):

1. नीति निर्णय (Policy Decision) की न्यायिक समीक्षा सीमित है
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जब तक कोई नीति निर्णय मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता, मनमाना नहीं है, या दुर्भावनापूर्ण नहीं है, तब तक न्यायालय उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता।


2. Annexure-1 एवं 2 को सरकार का वैध आदेश (Valid Government Order) माना गया है
याचियों द्वारा यह तर्क दिया गया कि यह केवल एक कार्यपालक निर्देश (executive instruction) है, न कि "कानून" (law) — लेकिन कोर्ट ने माना कि यह आदेश राज्य सरकार के कार्य-विन्यास नियमों (Rules of Business) के तहत वैध रूप से जारी हुआ है।


3. Rule 4(1)(a) की बाध्यता नहीं है जब राज्य Rule 4(2) के तहत वैकल्पिक व्यवस्था करे
उदाहरण: अगर स्कूल 1 किमी से ज्यादा दूर है, तो राज्य सरकार परिवहन या अन्य सहायता की वैकल्पिक व्यवस्था कर सकती है।


4. छात्रों के अधिकारों का कोई ठोस उल्लंघन नहीं दर्शाया गया
कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता यह सिद्ध नहीं कर पाए कि pairing नीति के कारण किसी छात्र का मौलिक अधिकार वास्तव में प्रभावित हुआ है।


5. NEP 2020 के तहत विद्यालय एकीकरण का उद्देश्य संसाधनों का बेहतर उपयोग और गुणवत्ता सुधार है
pairing नीति राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है, जिससे शिक्षक अनुपात, संसाधन और गुणवत्ता बेहतर की जा सके।


6. याचिका में दुर्भावना (malafide) या मनमानी (arbitrariness) का कोई ठोस आरोप नहीं है
नीति निर्णय को चुनौती देने के लिए ऐसा कोई मजबूत आधार प्रस्तुत नहीं किया गया।



निष्कर्ष:

कोर्ट ने पाया कि:

राज्य सरकार द्वारा स्कूलों को जोड़ने (pairing) का निर्णय नीति निर्णय है।

यह निर्णय न तो अनुच्छेद 21A का उल्लंघन करता है और न ही RTE Act अथवा राज्य के नियमों का।

कोई भी छात्र इससे शिक्षा के अधिकार से वंचित नहीं हो रहा है।


इसलिए याचिका खारिज कर दी गई।

कोर्ट आर्डर डाउनलोड लिंक 👇

https://drive.google.com/file/d/1qXmi04iR5J3VLREZpfsvmZdhXtRmNzTo/view?उसपे.=drivesdk