*मर्जर (pairing) पर निर्णय देते हुए याचिका खारिज करने के निम्न प्रमुख बिंदु सामने आते हैं*
🔴 *मुख्य बिंदुओं में निर्णय के कारण:*
⚫ कोर्ट ने माना कि मर्जर के बावजूद 6-14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा की गारंटी बनी हुई है। स्कूल को बंद नहीं किया गया बल्कि उन्हें जोड़ा (pair) गया है।
⚫ मर्जर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के निर्देशों के अनुरूप है, जो संसाधनों के उपयुक्त उपयोग और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में है।
⚫ जिन स्कूलों का pairing किया गया, उनमें से कई स्कूलों में छात्र संख्या शून्य या अत्यंत कम थी, जिससे संसाधनों की बर्बादी हो रही थी।
⚫ U.P. RTE Rules, 2011 के Rule 4(2) में 1 किमी दूरी के नियम से छूट दी गई है यदि राज्य सरकार वैकल्पिक व्यवस्था (जैसे निःशुल्क परिवहन) करे।
⚫ बहुत कम स्कूलों को ही जोड़ा गया, जो एक बहुत छोटा अनुपात है।
⚫ याचिकाकर्ता यह साबित नहीं कर सके कि बच्चों के अधिकारों का प्रत्यक्ष उल्लंघन हुआ है।
⚫ आदेश को "Government Order" माना गया है, जिसे Rules of Business के तहत Additional Chief Secretary द्वारा जारी किया गया और यह कानून के विरोध में नहीं पाया गया।
⚫ सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, नीति निर्णयों में हस्तक्षेप केवल तभी होता है जब वे मनमाने, दुर्भावनापूर्ण या मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हों — जो इस मामले में नहीं पाया गया।