*कोर्ट के निर्णय पर टीम एल पी मिश्रा का विश्लेषण*
साथियों,
*7 जुलाई 2025,* इस तारीख़ को उत्तर प्रदेश के हज़ारों गाँवों के स्कूलों की किस्मत पर जज साहब की कलम चली।
वृहद आदेश अपलोड हो चुका है उसमें हर पन्ना गवाह है कि कैसे एक किसान के बेटे के स्कूल का भविष्य सरकारी नीति और काग़ज़ की जुगलबंदी में फँसा दिया गया है।
🗂️ *याचिका में क्या माँगा गया था?*
हमने सरकार के 16 जून 2025 के उस शासनादेश को चुनौती दी थी जिसमें स्कूलों को जोड़ने (pairing) का आदेश था।
हमने कहा कि pairing मतलब स्कूलों की बंदी, pairing मतलब बच्चों को दूर भेजना। pairing मतलब गाँव से स्कूल का नामोनिशान मिटाना।
⚖️ *हमारे वकील डॉ एल०पी० मिश्रा ने क्या-क्या तर्क रखा?*
📌 *संविधान की मूल आत्मा Article 21A*
6 से 14 साल तक के हर बच्चे को मुफ़्त और पास के स्कूल में पढ़ाई का अधिकार।
यह हक़ न नीति से मिटाया जा सकता, न काग़ज़ से।
📌 *RTE Act 2009*
Section 3 -- हर बच्चे को Neighbourhood School में पढ़ने का अधिकार।
Section 6 -- सरकार का दायित्व कि 1 किमी के भीतर प्राइमरी स्कूल हो।
Section 8 -- सरकार को बच्चे के घर के पास स्कूल भवन, अध्यापक, पुस्तक सब देना अनिवार्य है।
📌 *U.P. RTE Rules 2011*
Rule 4(1) — प्राइमरी स्कूल 1 किमी के अंदर, अपर प्राइमरी 3 किमी के अंदर।
Rule 4(2) — अगर कोई स्कूल दूर है तो सरकार फ्री ट्रांसपोर्ट तभी देगी जब वहां किसी भी सूरत में बच्चे को शिक्षा देना संभव ही नहीं है (उदाहरण के लिए पहाड़ी क्षेत्र पर बसा हुआ एक दो घर)
📌 *सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों के हवाले*
Flag Code Case -- Executive instruction मौलिक अधिकार नहीं छीन सकता।
Kharak Singh — विभागीय या सरकारी आदेश किसी संवैधानिक कानून से ऊपर नहीं।
Bijoe Emmanuel — राज्य मौलिक अधिकार को दबा नहीं सकता।
राजस्थान HC — जूल खान बाई केस, दूर स्कूल होने पर मर्जर रद्द हुआ।
उत्तराखंड HC — स्कूल मर्जर पर रोक, RTE सर्वोपरि।
केरल HC — PTR class wise मान्य।
🗂️ *हमारे और प्रमाण*
हमने दिखाया कि 51 बच्चों के स्कूल में से कोई भी स्कूल शून्य छात्र संख्या वाला नहीं है, कोई भी स्कूल 30 से कम छात्र वाला नहीं।
हमने distance mapping दी और दिखाया कि याचिकाकर्ताओं बच्चों का हर स्कूल जिसकी pairing हो रबी है उसके बाद से बच्चों को लगभग 1.5 से 3 किमी दूर जाना पड़ेगा।
🗂️ *सरकार ने क्या कहा?*
सरकार ने कहा कि --
पेयरिंग NEP 2020 की नीति है। हमने ज़बाब दिया कि कोई भी नीति RTE ACT और संवैधानिक अधिकार से ऊपर नहीं है।
pairing से स्कूलों का संसाधन बढ़ाने का दावा किया।
कुछ स्कूलों में शून्य छात्र इसलिए merger जरूरी।
Rule 4(2) के तहत फ्री ट्रांसपोर्टेशन या हॉस्टल देंगे —जरूरत पड़ी तो।
pairing के बाद भवन preschool के लिए प्रयोग होंगे।
⚖️ *कोर्ट का अंतिम फैसला*
⚜️ दोनों याचिकाएँ खारिज की गईं। pairing नीति वैध मानी गई — सरकार चाहे तो लागू रख सकती है।
⚜️ Rule 4(2) विकल्प देता है कि राज्य चाहे तो फ्री बस या हॉस्टल दे सकता है। नीति बनाने में सरकार स्वतंत्र, कोर्ट का दखल सीमित है।
📜 *तो अब क्या निष्कर्ष है?*
👉 हमने दर्जनों स्कूलों का आँकड़ा दिया मगर अदालत ने कहा ठोस और जांचा हुआ डाटा चाहिए, अब बच्चे सरकार चलाते हैं जो खुद मुहर लगवाकर उस दूरी को प्रमाणित कर लें ?
👉 हमने सुप्रीम कोर्ट के आदेश गिनाए लेकिन अदालत ने कहा कि सरकार की नीति ही सर्वोपरि है जब तक कि दुर्भावना न दिखे।
👉 साथियों यह हार नहीं, यह सबक है, हमारी दलीलें कमजोर नहीं थीं। साक्ष्य, नियम, संविधान के तर्क सब रखे गए और कुछ भी नहीं छूटा।
👉 पूरी दो दिन की बहस में डॉ एल०पी० मिश्रा ने सरकार के हर तर्क पर जबरदस्त तर्क दिए लेकिन निर्णय देखकर सभी हैरान हैं।
👉 टीम ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया, किसी भी स्तर पर कोई कमी नहीं छोड़ी और न्याय की कसौटी पर हमें जीत मिलनी चाहिए थी लेकिन अंत में निर्णय ही मायने रखता है, जो हमारे पक्ष में नहीं है ।
*टीम एल पी मिश्रा*