16 July 2025

शिक्षकों के सम्मान में: ज्ञान और विवेक की महत्ता: ✍️ BSA sir का बहुत ही बढ़िया लेख

 

सैलरी1,5 लाख, केवल आना जाना और काम कुछ नहीं, जब हम यह बात एक सम्मानित शिक्षक के बारे में कहते हैं तब हमें पता होना चाहिए की 150000 यह संख्या बताना, आना जाना कुछ न करना, इन सारे शब्दों का ज्ञान हमें एक शिक्षक ने ही दिया है, जब हम कहते हैं कि एक शिक्षक काम नहीं करता, कामचोर है स्कूल में नहीं जाता, बच्चों को नहीं पढ़ाता तो हमें पता होना चाहिए यह विवेक और यह ज्ञान उसी शिक्षक ने हमें दिया है कि हम उसके बारे में ये टिप्पणी करने लायक हो गए हैं, या कर रहे, हैं जिस गुरु के दिए ज्ञान से हमें इस चर, अचर जगत के बारे में जानकारी मिलती है उसी गुरु के बारे में इतनी हल्की बात कहना कहीं से भी न्यायसंगत नहीं है, ज्ञान की महत्ता तब भी थी, आज भी है, और कल भी रहेगी, ज्ञान तब भी राज करता था, आज भी राज कर रहा है, कल भी करेगा, ज्ञान की किसी से तुलना नहीं हो सकती है और ज्ञान को उपदेश देने लायक इस जगत में कोई नहीं है, ज्ञान को उपदेश देने का अर्थ है कि अपने दामन में खुद झाँककर देख लेना चाहिए जब हम किसी पर एक अंगुली उठाते हैं तो 3 अंगुलियाँ कहती हैं पहले अपने आप को देखो और एक अंगुली ऊपर की तरफ इशारा करती है कहती है कम से कम ईश्वर से डरो जिन लोगों के मन में शिक्षकों के प्रति ये भाव हैं उनको अपने भी आत्मा में झांक के देखना चाहिए, और ईश्वर से डरना चाहिए , राकेश सिंह जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अलीगढ़ 15/7/25