नई दिल्ली। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि बीच में पढ़ाई छोड़ने पर कोचिंग या शैक्षणिक संस्थान पूरे साल या पाठ्यक्रम की फीस लौटाने से इनकार नहीं कर सकते। शीर्ष उपभोक्ता अदालत ने नामी कोचिंग संस्थान को ब्याज सहित छात्र को फीस लौटाने का आदेश दिया।
आयोग के पीठासीन अधिकारी डाॅ. इंदरजीत सिंह और न्यायिक सदस्य जस्टिस सुधीर कुमार जैन की पीठ ने यह फैसला सुनाया। पीठ ने कहा कि यदि छात्र ने सेवा का लाभ नहीं उठाया है, तो अग्रिम रूप से लिए गए शुल्क जब्त करने की अनुमति प्रशिक्षण संस्थान, कोचिंग सेंटर या शैक्षणिक केंद्र जैसे सेवा प्रदाता को नहीं दी जा सकती। पीठ ने आयोग के पूर्व के फैसले का हवाला देते हुए यह टिप्पणी की।
अदालत ने दाखिले के समय की उस शर्त को अमान्य बताया, जिसमें छात्र से कहा जाता है कि बीच में पढ़ाई छोड़ने पर पूरा शुल्क जब्त कर लिया जाएगा। अदालत ने कहा कि दाखिले के बाद यदि किसी छात्र को सेवा में कमी और लाभ नहीं मिलता है तो वह संस्थान बीच में छोड़ सकता है। एनसीडीआरसी ने राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के फैसले के खिलाफ कोचिंग संस्थान ‘फिटजी लिमिटेड’ की ओर से दाखिल अपील खारिज कर दी।