गुरु के बिना ज्ञान संभव नहीं है। लेकिन केवल ज्ञान ही पर्याप्त नहीं होता, इसके साथ नवाचार और संस्कार भी आवश्यक हैं। किसी शिक्षक के लिए सबसे बड़ा सम्मान वही क्षण होता है जब वह अपने शिष्यों को जीवन के किसी ऊँचे मुकाम पर देखता है। दिल्ली के कई शिक्षक पिछले ढाई से तीन दशक से इसी सोच के साथ लगातार विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। शिक्षक दिवस के अवसर पर इन्हीं में से कुछ को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा रहा है। इन शिक्षकों ने शिक्षा को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए निरंतर नए प्रयोग किए हैं। उनके अनुसार यह सम्मान जीवनभर की मेहनत का फल और किसी भी शिक्षक के लिए “लाइफ टाइम अचीवमेंट” जैसा है।
प्रीति सोलंकी को राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार
बेगमपुर स्थित सरकारी बालिका वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की उप-प्राचार्या प्रीति सोलंकी लगभग 25 वर्षों से शिक्षा क्षेत्र में योगदान दे रही हैं। उनकी यात्रा वर्ष 2000 से शुरू हुई थी और अब शुक्रवार को उन्हें राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। प्रीति जी बताती हैं कि दसवीं कक्षा में पढ़ते समय ही उन्होंने नौंवी के छात्रों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया था। तभी उन्होंने निश्चय किया था कि जीवन का लक्ष्य शिक्षण कार्य ही होगा।
उनका कहना है— “हमारा पेशा हमें किसी की जिंदगी में बदलाव लाने का अवसर देता है। हाल ही पता चला कि मेरे पढ़ाए हुए एक छात्र अब स्वयं शिक्षक बनकर यूपीएससी से चयनित होकर वाइस प्रिंसिपल बने हैं। यही किसी भी शिक्षक की सबसे बड़ी उपलब्धि है।”
तरुण भसीन की यात्रा
सरकारी बॉयज सीनियर सेकेंडरी स्कूल, शाहबाद दौलतपुर में कार्यरत तरुण भसीन को भी इस बार राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए चुना गया है। वह बताते हैं कि शुरूआत में उन्होंने पत्रकारिता की, लेकिन बाद में शिक्षा क्षेत्र की ओर रुख किया। लगभग 26 वर्षों से वे निरंतर विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं। तरुण भसीन का मानना है कि शिक्षक का महत्व केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं होता, बल्कि वह बच्चों के चरित्र निर्माण और संस्कार देने में भी प्रमुख भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा— “समाज में बदलाव का असली साधन शिक्षक ही हैं और पुरस्कार मिलना इस लंबे सफर के प्रयासों की मान्यता है।”
राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित होंगे अवधेश कुमार झा
रोहिणी सेक्टर-8 स्थित सर्वोदय को-एड विद्यालय के प्राचार्य अवधेश कुमार झा को इस वर्ष राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार मिलेगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें यह सम्मान प्रदान करेंगी। देशभर से चुने गए 45 शिक्षकों में उनका नाम शामिल है।
अवधेश झा ने अपने विद्यालय में कई नवाचार किए हैं— जैसे सप्ताह में एक दिन खुलने वाला रीडिंग रूम, 2021 में देशभक्ति पार्क की स्थापना और विद्यार्थियों की मानसिक सेहत के लिए तनाव-मुक्त कक्ष बनवाना। इन प्रयासों से बच्चों के शैक्षणिक एवं भावनात्मक विकास को नई दिशा मिली।
शिक्षक ही देश के शिल्पकार – मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर तालकटोरा स्टेडियम में एनडीएमसी की नई शैक्षिक पहल “विकास भी, विरासत भी” के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा—
“शिक्षक वास्तव में हमारे राष्ट्र के सच्चे शिल्पकार हैं। आज वे बच्चों में जो संस्कार और मूल्य डालते हैं, वही कल देश के भविष्य की नींव बनते हैं।”
कार्यक्रम में 15 उत्कृष्ट शिक्षकों को सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि नई पीढ़ी को केवल विकास ही नहीं, बल्कि अपनी सांस्कृतिक विरासत का महत्व भी समझाना जरूरी है। उन्होंने दिल्ली को स्वच्छ बनाए रखने, पानी बचाने, प्रदूषण से लड़ने और यमुना को उसकी गरिमा लौटाने को सबसे बड़ी जिम्मेदारी बताया।
मंत्री प्रवेश वर्मा ने कहा कि विकास और विरासत में संतुलन बेहद आवश्यक है। वहीं, सांसद बांसुरी स्वराज का कहना था कि शिक्षक सिर्फ ज्ञान नहीं देते, बल्कि छात्रों को हमारी संस्कृति और जीवन मूल्यों से जोड़ते हैं। एनडीएमसी के अध्यक्ष केशव चंद्रा ने बताया कि योग, गणित, भारतीय ज्ञान परंपरा और पर्यावरण संरक्षण जैसे विषयों को अब पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है।