इसलिए पड़ता है असर
● लोगों के लिए सोशल मीडिया सिर्फ देखने का काम नहीं है
● इसमें लगातार स्क्रॉल करना, नोटिफिकेशन देखना, जवाब देना जैसी कई चीजें होती हैं
● इससे लोगों का दिमाग लगातार सक्रिय रहता है
● निर्णय लेने वाले हिस्से पर ज्यादा दबाव पड़ता है
इन कदमों से होगा सुधार
● माता-पिता बच्चों को सोशल मीडिया से दूर करने के लिए प्रयास करें
● जिन बच्चों को आदत लग चुकी हैं, उनका समय कम किया जाए
● बच्चों को अलग-अलग गतिविधियों में शामिल किया जाए
● बच्चों को इसके देखने के नुकसान के बारे में बताया जाए ताकि वे इसे दूरी बनाने की कोशिश करें
न्यूयॉर्क, एजेंसी। सोशल मीडिया की लत से बच्चे पढ़ाई में पीछे हो रहे हैं। इसकी लत उनके दिमाग पर गंभीर असर डाल रही है। नौ से 13 साल के बच्चों में सोशल मीडिया का अधिक इस्तेमाल उनके पढ़ने, याद रखने और शब्द-ज्ञान को प्रभावित कर रहा है। सोशल मीडिया इंस्टाग्राम, फेसबुक जैसे कई मंच हैं जिन पर बच्चे लगातार कई घंटों तक सक्रिय रहते हैं।
यह शोध जामा नेटवर्क में प्रकाशित हुआ है। इसमें किशोर मस्तिष्क संज्ञानात्मक विकास (एबीसीडी) नाम की एक बड़ी उपलब्धि (दीर्घकालिक) अध्ययन के आंकड़ों का उपयोग किया गया है। इसमें 21 रिसर्च सेंटर्स जुड़े थे। कुल सात हजार से ज्यादा बच्चों पर अध्ययन हुआ, जिनकी उम्र 9 से 13 साल के बीच थी। इनमें लगभग 51% लड़के और 49% लड़कियां थीं।
हर रोज औसतन पांच घंटे सोशल मीडिया पर दे रहा समय : अध्ययन में पाया गया कि एक बच्चा हर दिन पांच से साढ़े पांच घंटे स्क्रीन पर बिताता है, जिसमें अधिकतर समय सोशल मीडिया पर कंटेंट बनाने या देखने में जाता है। सोशल मीडिया पर टीवी देखने की तुलना में ज्यादा मानसिक सक्रियता ज्यादा होती है। इसमें स्क्रॉल करना, नोटिफिकेशन चेक करना और ऑनलाइन लोगों के साथ जुड़ना मस्तिष्क के कई हिस्सों को लगातार सक्रिय रखता है।
तीन चरणों में लिया गया डाटा : अध्ययन में तीन चरणों में डाटा लिया गया। पहले चरण 2016–2018, दूसरा चरण 2017–2019 और तीसरा चरण 2018–2020 तक के डाटा लिए गए। इसमें जिन बच्चों का सोशल मीडिया इस्तेमाल सबसे ज्यादा और बढ़ता हुआ था। उन्होंने पढ़ने, याद रखने और शब्द-ज्ञान वाले टेस्ट में सबसे कम स्कोर किया। जिन बच्चों ने सोशल मीडिया इस्तेमाल बहुत कम या बिल्कुल नहीं किया, उनके स्कोर सबसे अच्छे रहे। उनके दिमाग पर ज्यादा असर नहीं पड़ा। शोधकर्ता डॉक्टर रेनशॉ ने कहा कि सोशल मीडिया पर इस तरह की लत पाना बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। इससे उनका दिमागी विकास भी प्रभावित हो रहा है।