17 November 2025

परीक्षा में तनाव से जूझने वाले छात्रों की पहचान हो सकेगी, इस कारण बन रहे यह हालात

  परीक्षाओं के दौरान तनाव से जूझने वाले छात्रों को अब परेशानी नहीं उठानी होगी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास में किए गए नए शोध ने ऐसे शारीरिक संकेतों की खोज की है, जो तनाव बढ़ाने का कारण बनते हैं।

इस शोध की मदद से अब न सिर्फ तनाव झेलने वाले छात्रों की पहचान हो सकेगी, बल्कि वक्त रहते उन्हें मदद भी मुहैया कराई जा सकेगी।यह शोध बीहेवियरल ब्रेन रिसर्च नामक अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन से पता चलता है परीक्षा तनाव में दिमाग और दिल का आपसी संपर्क अलग-अलग तरीके से काम करता है। इससे तनाव से जूझने वाले छात्रों की जल्दी पहचान हो सकती है और उनके लिए व्यक्तिगत मदद दी जा सकती है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी, 2022) के अनुसार, भारत में 81% छात्र परीक्षा तनाव से प्रभावित होते हैं। इससे उनकी पढ़ाई,मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। कुछ दबाव में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, जबकि अन्य बचाव का रास्ता अपनाते हैं।


वास्तविक समय में निगरानी

शोध छात्रा स्वाति परमेश्वरन ने कहा, इन संकेतों से एआई आधारित उपकरण बनाए जा सकते हैं। यह वास्तविक समय में छात्रों की निगरानी करेंगे। इससे शिक्षक और मनोवैज्ञानिकों को पहले ही पता चल जाएगा। व्यक्तिगत तनाव प्रबंधन कार्यक्रम स्कूलों में शामिल किए जा सकते हैं। यह प्रारंभिक अध्ययन 52 छात्रों पर किया गया। अब टीम बड़े समूहों, नींद और गतिविधि जैसे कारकों पर शोध करेगी। ईईजी तकनीक से दिमाग-दिल के संबंध को और गहराई से समझा जाएगा।


आईआईटी मद्रास के इंजीनियरिंग डिजाइन विभाग के प्रोफेसर वेंकटेश बालासुब्रमण्यन ने बताया, शोध दल ने यह समझने की कोशिश की कि आखिर ऐसा क्यों होता है। इसके लिए उन्होंने वस्तुनिष्ठ, शारीरिक आंकड़ों पर ध्यान केंद्रित किया। पाया गया कि तनाव में दिमाग-दिल का संपर्क टूटने पर कुछ छात्रों में तनाव ज्यादा बढ़ता है और वे बचाव करने लगते हैं। अध्ययन के दौरान यह भी पता चला है कि तनाव के दौरान जब मस्तिष्क–हृदय संचार नेटवर्क बाधित होता है, तो कुछ छात्र अधिक चिंता और परहेजी व्यवहार प्रदर्शित करते हैं।