02 December 2025

बीएलओ की मौतों पर भड़के शिक्षक बोले- हमारा काम पढ़ाना

 


 

लखनऊः विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) अभियान में तैनात कई बीएलओ (बूथ लेवल आफिसर) की मौत के बाद पूरे प्रदेश में शिक्षक संगठनों में आक्रोश है। संगठनों का कहना है कि शिक्षकों का मूल कार्य बच्चों को पढ़ाना है, लेकिन प्रशासन उन्हें जबरन निर्वाचन संबंधी कठिन और दबाव भरे कामों में लगा रहा है, जिससे उनकी मानसिक स्थिति प्रभावित हो रही है। कई शिक्षकों को पहली बार यह जिम्मेदारी मिली है। तकनीकी दिक्कतों, जनसहयोग की कमी और लक्ष्य पूरा न होने पर दिए जा रहे दंडात्मक निर्देशों के कारण वे भारी तनाव में हैं।



उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पांडे ने कहा कि मौजूदा हालात शिक्षक समाज में भय और असुरक्षा पैदा कर रहे हैं। यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है। संगठन ने मांग की है कि मृत शिक्षकों के परिवारों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा, परिजन को सरकारी नौकरी, माता पिता के लिए स्वास्थ्य बीमा और बच्चों की निश्शुल्क शिक्षा दी जाए। 10 दिसंबर से परीक्षाएं शुरू होने जा रही हैं और उसके बाद निपुण आकलन होना है। ऐसे में विद्यालयों में स्टाफ की कमी से परीक्षाएं प्रभावित होंगी। इसलिए सभी शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी से तुरंत मुक्त किया जाए।


अब 23% मतदाताओं के ही भरने से रह गए गणना प्रपत्र


प्रदेश में मतदाता सूची के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) अभियान में 77% मतदाताओं ने अपने गणना प्रपत्र भरकर जमा कर दिए हैं। यानी कुल 15.44 करोड़ मतदाताओं में से 11.95 करोड़ के फार्म जमा हो गए हैं। इनका डिजिटाइजेशन का काम पूरा हो गया है। अब केवल 23% मतदाता शेष बचे हैं। एसआइआर फार्म जमा करने की अंतिम तिथि 11 दिसंबर कर दी गई है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने सोमवार को सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक कर गणना प्रपत्रों के संग्रह और डिजिटाइजेशन की स्थिति का आकलन किया।


आयोग को भेजी शिकायतः सोमवार को सपा ने कई जिलों-विधानसभा क्षेत्रों में वर्ष 2003 की मतदाता सूची न मिलने, गणन प्रपत्र न बांटे जाने से लेकर मतदाताओं के फार्म गलत तरीके से श्रेणी तृतीय में जमा करने की शिकायत की। सपा के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को भेजे ज्ञापन में कहा कि मऊ में बीएलओ ने मतदाताओं के गणना प्रपत्र नियम के विपरीत श्रेणी तृतीय में भर कर जमा कर दिए हैं, जबकि अधिकांश मतदाताओं ने अपना नाम 2003 में दर्ज होने आदि का विवरण पूरी तरह सही दर्ज किया है।