मोबाइल कंपनियों को 90 दिन का अल्टीमेटम प्रीलोड एप डिलीट करना होगा नामुमकिन
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सभी स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों को भारत में हर नए स्मार्टफोन में पहले से सरकार का साइबर सुरक्षा एप 'संचार साथी' अपलोड करने का निर्देश दिया। दूरसंचार विभाग ने स्मार्टफोन निर्माताओं को इसके लिए तीन महीने का अल्टीमेटम दिया है।
साइबर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दूरसंचार विभाग की ओर से जारी निर्देश में कहा गया कि मोबाइल कंपनियों को 90 दिन यानी फरवरी, 2026 के अंत तक देश में निर्मित या आयातित सभी नए हैंडसेट में संचार साथी एप देना होगा। इस प्री लोडेड एप को डिलीट करना नामुमकिन होगा। यूजर इसे न तो हटा सकेंगे
और न डिसेबल कर सकेंगे। कंपनियों को सुनिश्चित करना होगा कि यह एप डिवाइस सेटअप के बाद यूजर्स को आसानी से दिखाई दे और सुलभ हो।
निर्देशों के अनुसार, ऐसे सभी उपकरणों के लिए, जो पहले ही निर्मित हो चुके हैं और भारत में बिक्री चैनलों में हैं, उसमें एप को सॉफ्टवेयर अपडेट के माध्यम से आगे बढ़ाना होगा। निर्देश में कहा गया है, भारत में इस्तेमाल के लिए बनने वाले मोबाइल हैंडसेट के सभी निर्माता और आयातक इन निर्देशों के जारी होने के 120 दिनों के भीतर दूरसंचार विभाग को अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
संचार साथी क्यों जरूरी: इस कदम का मुख्य उद्देश्य साइबर धोखाधड़ी से लड़ना और सुरक्षा बढ़ाना है। यह एप यूजर्स के लिए सुरक्षा कवच की तरह काम करेगा। यह खोए या चोरी हुए फोन को आईएमईआई नंबर के आधार पर ट्रैक करने और ब्लॉक करने में मदद करता है। यूजर अपने नाम पर रजिस्टर्ड फर्जी या संदिग्ध मोबाइल कनेक्शन की पहचान कर सकते हैं। यह अवैध और नकली आईएमईआई नंबरों के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए जरूरी है। इन्हीं आईएमईआई नंबरों का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी की जाती है।
इन कंपनियों के लिए चुनौती: इस आदेश से एपल, सैमसंग, शियाओमी, वीवो और ओप्पो जैसी बड़ी कंपनियों को सीधे तौर पर चुनौती मिलेगी। इनमें एपल विशेष रूप से अपने ऑपरेटिंग सिस्टम में गैर-जरूरी थर्ड पार्टी एप को प्री-इंस्टॉल करने का कड़ा विरोध करती रही है। दूरसंचार विभाग ने स्पष्ट किया कि अगर कंपनियां निर्देश का पालन नहीं करती हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी

