हरदोई: परिषदीय
विद्यालयों के शिक्षकों के लिए शासन ने चयन वेतनमान पाने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से आनलाइन व्यवस्था लागू की थी। उद्देश्य साफ था बिचौलियों और बाबुओं के खेल पर लगाम लगे। 10 वर्ष की सेवा पूरी करते ही शिक्षक स्वतः इस श्रेणी में शामिल होकर लाभ पा सकें। आनलाइन सिस्टम से उम्मीद थी कि किसी शिक्षक को न तो चक्कर लगाने होंगे और न ही किसी जुगाड़ के सहारे अधिकार का लाभ लेना पड़ेगा, लेकिन जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल उलट है। चयन वेतनमान की स्थिति में प्रदेश के खराब 25 जिलों में हरदोई भी शुमार है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा की तरफ से नाराजगी जताई गई है।
चयन वेतनमान की प्रक्रिया पर बाबू राज और ढिलाई की ऐसी पकड़ है कि शासन की मंशा पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। इस समय कुल 1012 शिक्षक चयन वेतनमान की सूची में आए हैं, लेकिन उनमें से सिर्फ 170 की फाइलें ही लिपिक स्तर तक पहुंच पाईं। शेष पत्रावलियां ब्लाक स्तर
पर खंड शिक्षा अधिकारियों के कार्यालयों में ही अटकी हैं। सबसे गंभीर बात यह कि ब्लाक से बीएसए कार्यालय तक एक भी फाइल नहीं पहुंची। यानी पूरी प्रक्रिया ब्लाक स्तर पर ही ठप है। न तो खंड शिक्षा अधिकारी फाइलें आगे भेज रहे हैं, और न बीएसए कार्यालय इस पर कोई सक्रियता दिखा रहा है।
बार-बार प्रयास करने के बाद भी शिक्षकों को यही बताया जाता है कि फाइल लंबित है। शिक्षकों का आरोप है कि आनलाइन व्यवस्था लगाने के बाद भी मनमानी खत्म नहीं हुई। पहले की तरह ही बाबुओं का दबदबा कायम है। शिक्षकों का कहना है कि कई लिपिक फाइल
चयन वेतनमान की श्रेणी में 1012 शिक्षक शामिल, आनलाइन व्यवस्था धरी रह गई, बीइओ से बीएसए के बीच फंसी प्रक्रिया
आगे बढ़ाने में टाल-मटोल करते हैं और अप्रत्यक्ष रूप से कुछ देने की उम्मीद रखते हैं। जब तक संकेत न मिले, फाइल आगे नहीं बढ़ती। शासन ने जिन कारणों से आनलाइन प्रणाली लागू की थी, वही कारण आज भी जस के तस बने हुए हैं।
सवाल यह है कि जब आनलाइन प्रक्रिया स्वतः शिक्षकों को श्रेणी में शामिल कर देती है, तो फिर फाइलें ब्लाक और बीएसए कार्यालय में क्यों अटक रही हैं? शासन की मंशा और तकनीकी व्यवस्था के बावजूद जिम्मेदारों की ढिलाई और घालमेल ने साफ कर दिया है कि बिना जवाबदेही तय किए व्यवस्था सुधरने वाली नहीं। जिम्मेदारों की लापरवाही पर महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी ने भी नाराजगी जताई है और कारण पूछते निराकरण का आदेश दिया है।

