संचार साथी ऐप को लेकर विपक्ष की आपत्तियों के बीच केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह ऐप पूरी तरह स्वैच्छिक और ग्राहक-केंद्रित है। मंगलवार को केंद्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि
यह ऐप निगरानी के लिए नहीं है। लोग अपनी सुविधा के अनुसार, इस ऐप को सक्रिय कर सकते हैं और जब चाहे तक डिलीट भी कर सकते हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट किया कि यह ऐप तभी सक्रिय होगा जब उपयोगकर्ता स्वयं इसे रजिस्टर करेंगे। उन्होंने कहा कि संचार साथी ऐप किसी भी प्रकार की निगरानी का साधन नहीं है, बल्कि यह जनभागीदारी पर आधारित नागरिक सुरक्षा प्लेटफॉर्म है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार की सर्वोच्च जिम्मेदारी हर नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करना है और संचार साथी उसी दिशा में उठाया गया मजबूत कदम है, जो मोबाइल उपयोगकर्ताओं को सुरक्षित, सशक्त और जागरूक बनाता है। सिंधिया ने बताया कि यह ऐप मोबाइल नंबर की सुरक्षा, फर्जी कनेक्शनों की पहचान, खोए या चोरी हुए मोबाइल फोन की ट्रैकिंग और साइबर ठगी से बचाव में मदद करता है।
ऐप के कॉल लॉग फीचर के माध्यम से उपयोगकर्ता संदिग्ध नंबरों की शिकायत दर्ज कर सकते हैं, जिससे स्वयं के साथ अन्य लोगों को भी धोखाधड़ी से बचाया जा सकता है।
क्या है मामला : सरकार ने 28 नवंबर को स्मार्टफोन कंपनियों को निर्देश दिया था कि हर नए फोन में सरकारी साइबर सुरक्षा एप्लिकेशन संचार साथी ऐप अनिवार्य रूप से इंस्टॉल किया जाए। सरकार की ओर से मोबाइल निर्माता कंपनियों को 90 दिन की समयसीमा दी गई थी कि भारत में निर्मित या आयातित सभी नए स्मार्टफोनों में यह ऐप मौजूद हो।
विपक्ष हमलावर : संचार मंत्रालय की ओर से सोमवार को इस निर्देश की जानकारी साझा किए जाने के बाद विपक्ष ने सवाल खड़े किए। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया पर आरोप लगाया कि सरकार पहले आयकर कानून में बदलाव, आरटीआई कानून को कमजोर करने और पेगासस के बाद अब संचार साथी ऐप से लोगों की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है।
पोर्टल फिर ऐप की शुरुआत: मई 2023 में संचार साथी पोर्टल की शुरुआत की गई। इसके बाद 17 जनवरी 2024 से संचार साथी ऐप लॉन्च किया गया, ताकि चोरी/खोए फोन और साइबर फ्रॉड की शिकायत हो सके।

