18 December 2025

लिव इन रिलेशन अवैध नहीं : कोर्ट

 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि लिव इन रिलेशनशिप का कॉन्सेप्ट सभी को स्वीकार नहीं हो सकता लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि ऐसा रिश्ता गैरकानूनी है या शादी की पवित्रता के बिना साथ रहना कोई अपराध है। इसमें यह भी कहा गया कि इंसान के जीवन का अधिकार बहुत ऊंचे दर्जे पर है, भले ही कोई युगल शादीशुदा हो या शादी की पवित्रता के बिना साथ रह रहा हो।


कोर्ट ने कहा कि एक बार जब कोई बालिग व्यक्ति अपना पार्टनर चुन लेता है तो किसी अन्य व्यक्ति, चाहे वह परिवार का सदस्य ही क्यों न हो, उसे आपत्ति करने और उनके शांतिपूर्ण जीवन में बाधा उत्पन्न करने का अधिकार नहीं है। संविधान के तहत राज्य पर जो जिम्मेदारियां डाली गई हैं, उनके अनुसार हर नागरिक के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य है। न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह ने लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों की पुलिस सुरक्षा की मांग वाली कई याचिकाएं स्वीकार कर ली हैं।


कोर्ट का मानना है कि राज्य सहमति से रहने वाले बालिगों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करने से इनकार नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा कि याची बालिग हैं। उन्होंने शादी की पवित्रता के बिना एकसाथ रहने का फैसला किया है, और कोर्ट को उनके फैसले पर निर्णय (जज) करने का कोई हक नहीं है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचियों के शांतिपूर्ण जीवन में कोई बाधा आती है, तो वे इस आदेश की प्रमाणित कॉपी के साथ संबंधित पुलिस कमिश्नर/ एसएसपी/ एसपी से संपर्क कर सकते हैं।