प्रयागराज: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की सामान्य शिक्षक भर्ती परीक्षा में सफल होकर दूसरे जिले में तैनाती पाए शिक्षक नई परेशानी में उलझ गए हैं। दिक्कत यह है कि फेल हो जाने वाले तदर्थ शिक्षक जहां अपने विद्यालयों में ही बने हुए हैं, वहीं सफल होकर चयनित होने वालों को दूसरे जिले में भेज दिया गया है। इससे नई जगह पर कार्यभार ग्रहण करने से नए वेतनमान पर भुगतान होने से उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ेगा। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने सामान्य शिक्षक भर्ती परीक्षा में पास होने और चयन होने के उपरांत तदर्थ अध्यापक को उसके पूर्व से अध्यापित विद्यालय को नहीं आवंटित किया। यह मामला आंबेडकरनगर जिले के रामबाबा विद्या मंदिर इंटर कालेज में बतौर तदर्थ अध्यापक 13 वर्षों से कार्यरत अजीत सिंह का है। चयन बोर्ड की ओर से कराई गई सामान्य परीक्षा में वह पास हुए। उन्हें सहायक अध्यापक (टीजीटी) शारीरिक शिक्षा विषय में सामान्य अभ्यर्थी के रूप में 109 रैंक हासिल हुआ। परीक्षा परिणाम आने पर उन्होंने चयन बोर्ड को प्रत्यावेदन देकर रामबाबा विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में ही पदस्थापित करने की मांग की थी। इसके अलावा अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा को भी प्रत्यावेदन देकर तदर्थ अध्यापक के रूप में कार्यरत विद्यालय में ही पदस्थापित करने की मांग की। दावा है कि परीक्षा पास होने पर तदर्थ अध्यापक को उसी विद्यालय में पदस्थापित किया जाना था और पूर्व की सेवाओं का लाभ देना था। हालांकि, चयन बोर्ड ने उसी विद्यालय में नियुक्त किए जाने के उनके दावे को सही नहीं माना है। अजीत सिंह का कहना है कि तदर्थ अध्यापक माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की तरफ से आवंटित विद्यालय में कार्यभार ग्रहण करता है तो उसे नए वेतनमान पर कार्य करना होगा, जबकि वह 13 वर्षों से शिक्षण कार्य कर रहे हैं। तदर्थ शिक्षकों के मामले में नियमावली न होने से एक संशय और भी है कि यदि चयनित तदर्थ अध्यापक दूसरे विद्यालय में कार्यभार ग्रहण कर लें और सरकार बाद में फेल तदर्थ अध्यापकों को विनियमित कर दे तो चयनित हुए शिक्षकों के मामले में क्या होगा? क्या फिर से पुराने विद्यालय में लौट आने का मौका मिलेगा। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद परीक्षा पास करने वाले तदर्थ अध्यापक असमंजस में हैं कि वह क्या करें। चयन बोर्ड के सचिव का कहना है कि परीक्षा पास होकर चयनित होने वाले तदर्थ शिक्षकों को अधियाचित पद का विद्यालय आवंटित किया गया है। जहां तदर्थ शिक्षक के रूप में कार्यरत थे, वहीं नियुक्ति देने का कोई आदेश नहीं है।