रेलवे के स्कूलों को बंद करने की उल्टी गिनती शुरू, अगले सत्र में प्रवेश पर रोक


गोरखपुर। रेलवे के स्कूलों को बंद करने की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देश पर पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने गोरखपुर के तीनों स्कूलों को बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।कार्मिक विभाग ने पत्र जारी कर बौलिया कालोनी स्थित रेलवे बालक (यूपी बोर्ड व सीबीएसई) और बालिका इंटर कालेज (यूपी बोर्ड) तथा कौवाबाग स्थित सीनियर सेकेंड्री स्कूल (सीबीएसई) में अगले सत्र 2022-23 में किसी भी कक्षा में नए प्रवेश पर रोक लगा दी है। अब अगले निर्देश के क्रम में ही विद्यालयों में नए प्रवेश लिए जाएंगे।

नहीं रखे जाएंगे नए अध्यापक, अन्य विद्यालयों में छात्रों को पढ़ाने के लिए स्वतंत्र होंगे अभिभावक

नई व्यवस्था के तहत रेलवे बालक और बालिका इंटरमीडिएट के छात्र सीनियर सेकेंड्री स्कूल में समायोजित किए जाएंगे। अभिभावक सीनियर सेकेंड्री स्कूल के अलावा अन्य विद्यालयों में भी छात्रों को पढ़ाने के लिए स्वतंत्र होंगे। यानी, छात्रों को रेलवे के सीनियर सेकेंड्री स्कूल में ही पढ़ाने की बाध्यता नहीं होंगी। रेलवे प्रशासन ने रेलवे के विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती और स्थानांतरण प्रक्रिया पर भी रोक लगा दी है। फिलहाल, इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए उप मुख्य कार्मिक अधिकारी मुख्यालय वीके द्विवेदी ने तीनों विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को पत्र जारी कर दिया है। पत्र मिलने के बाद परिसर में विद्यालय और छात्रों के भविष्य को लेकर चर्चा तेज हो गई है।

बंद होंगे दोनों कालेज, चलता रहेगा सीनियर सेकेंड्री स्कूल

रेलवे प्रशासन विद्यालयों को अचानक बंद नहीं करेगा। बंद करने की शुरुआत बालिका और बालक इंटर कालेज से होगी। कक्षा छह से आठ के अलावा हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के छात्रों को सीनियर सेकेंड्री में समायोजित कर दिया जाएगा। कुछ अध्यापक सीनियर सेकेंड्री स्कूल में समायोजित हो जाएंगे। जो शेष बचेंगे उन्हें मुख्यालय के दूसरे विभागों में तैनात कर दिया जाएगा।

प्रभावित होगी सैकड़ों छात्रों की पढ़ाई

रेलवे के इस निर्णय के बाद सैकड़ों छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होगी। बालिका इंटर कालेज में ही करीब 11 सौ छात्राएं हैं। बालक इंटर कालेज में भी लगभग 1500 छात्र हैं। छात्रों की सर्वाधिक संख्या सीनियर सेकेंड्री स्कूल में है।

कालेजों में 50 फीसद से भी कम हैं रेलकर्मियों के बच्चे

रेलवे बालक और बालिका इंटर कालेज में रेलकर्मियों के बच्चों की संख्या 50 फीसद से भी कम है। जबकि, सीनियर सेकेंड्री स्कूल में लगभग फिफ्टी-फिफ्टी का अनुपात है। रेलवे बोर्ड ने भारतीय रेलवे में स्थापित सभी ऐसे स्कूलों को बंद या समायोजित करने का निर्देश जारी किया है, जहां रेलकर्मियों के बच्चे कम संख्या में पढ़ते हैं। बोर्ड ने विद्यालयों में नई नियुक्ति और पदोन्नति पर भी रोक लगा दी है।

आजादी के पहले के हैं तीनों विद्यालय, अब बन जाएंगे इतिहास

रेलवे के तीनों विद्यालय आजादी के पहले के बने हैं। अंग्रेजों ने अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए स्थापित किया था। अंग्रेजों के चले जाने के बाद इन विद्यालयों में रेलकर्मियों के बच्चे पढ़ने लगे। बाद में इन विद्यालयों में बाहर के बच्चों को भी पढ़ने की अनुमति मिल गई। बंद होते ही यह विद्यालय इतिहास बन जाएंगे।