प्रयागराज : स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर संभागीय परिवहन विभाग सोमवार से अभियान चलाने जा रहा है। इसके लिए शनिवार को सभी स्कूलों के प्रबंधन को नोटिस भेजा जाएगा। स्पष्ट कहा जाएगा कि अनफिट वाहनों में बच्चों को न बैठाया जाए। जांच में अगर वाहन अनफिट मिले तो उसे सीज करने के साथ ही स्कूल प्रबंधन के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
मासूम बच्चों को स्कूल लाने और छोड़ने के लिए बसों के साथ ई-रिक्शा, आटो, टेंपो, मारुति वैन की व्यवस्था है। स्कूल से संबंद्ध बसों को छोड़ दिया जाए तो अन्य वाहन नियमों का पालन नहीं करते। जैसे न तो वह पीले रंग में रंगे होते हैं और न ही वाहनों के पीछे स्कूल, पुलिस, एंबुलेंस, आपातकालीन नंबर आदि लिखे होते हैं। यह भी नहीं लिखा होता कि यह स्कूली वाहन है। दूरी बनाकर रखें, वाहन में बच्चे हैं।
जो बसें संबंद्ध हैं, उसमें भी अधिकांश में लोहे की ग्रिल नहीं होती है। चालक और खलासी के अलावा बस में कोई नहीं रहता है। हां, यह जरूर देखा जाता है कि कुछ बसों में स्कूल में पढ़ने वाले अध्यापक और अध्यापिका सवार रहते हैं। यह इसलिए वाहन में सवार होते हैं कि इसी से प्रतिदिन विद्यालय आते-जाते हैं।
स्कूल प्रबंधन द्वारा इनकी ड्यूटी नहीं लगाई जाती है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। स्कूली वाहनों को नियमों का शत प्रतिशत पालन करना होगा। सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन के मुताबिक चलना होगा। फिटनेस के साथ ही सभी कागजात दुरुस्त रखने होंगे। एआरटीओ प्रशासन सियाराम वर्मा का कहना है कि शनिवार को सभी स्कूल प्रबंधन को नोटिस भेजा जाएगा, जिसमें अनफिट वाहनों का संचालन बंद करने को कहा जाएगा। वाहन जब मानक के मुताबिक होंगे, तभी उनका संचालन होगा। साथ ही सभी एआरटीओ प्रवर्तन को अनफिट वाहनों की सूची सौंपी जाएगी। छह टीमों का गठन कर सोमवार से जांच शुरू कराई जाएगी।