मंझनपुर एडीजे विशेष न्यायाधीश एसटी बीना नारायण की एससी/ अदालत ने मंगलवार को हत्या के एक मामले की अहम सुनवाई की। कोर्ट ने आंगनबाड़ी सहायिका की हत्या के आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 11 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है। जुमाना जमा नहीं करने पर दोषी रसोइया को अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।
अभियोजन के अनुसार मंझनपुर कोतवाली के चक थांबा निवासी
लवकुश कोरी ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि 25 दिसंबर 2008 को वह अपनी मामी शिव दुलारी पत्नी लल्लू कोरी निवासी नया पुरवा थाना मंझनपुर से मिलने गया था। शिवदुलारी आंगनबाड़ी सहायिका थी। पता चला कि वह गांव के प्राइमरी स्कूल में मिड डे मील बनाने गई है। इधर, रास्ते में शिवदुलारी का भतीजा जगदीश रोते हुए लवकुश से मिला और बताया कि नया पुरवा गांव के पटवारी लाल ने कुल्हाड़ी से गर्दन ने पर वार कर सहायिका की हत्या कर दी है। बताया कि पटवारी लाल स्कूल में रसोइया था और वह शिवदुलारी से बदसुलूकी करता था शिवदुलारी के विरोध करने पर उसने वारदात को अंजाम दिया है। मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया।
मुकदमे की सुनवाई एडीजे विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी बना नारायण की अदालत में हुई। शासकीय अधिवक्ता रमेश चंद्र त्रिपाठी ने कोर्ट के समक्ष कुल नौ गवाहों को प्रस्तुत किया। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीले व पत्रावली में मौजूद साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद मंगलवार को अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने पटवारी लाल को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही 11 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया जुर्माना अदा नहीं करने पर दोषी को अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।