मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया था कि किसी भी कार्यालय में अधिकतम तीन दिनों में फाइलों का निस्तारण किया जाए लेकिन शिक्षा निदेशालय में इस आदेश के कोई मायने नहीं है। शिक्षा निदेशालय में एक से दूसरे टेबल तक फाइल पहुंचने में सालों लग जाते हैं। खासतौर से जब एरियर भुगतान की बात हो तो फाइल का लटकना तय है।
औरैया और मेरठ के ये मामले तो उदाहरण मात्र हैं। ऐसे दर्जनों प्रकरण शिक्षा निदेशालय में लंबित पड़े हैं। अनुभाग के लिपिक कोई न कोई आपत्ति लगाकर फाइल लटकाए रखते हैं। विधान परिषद में नेता शिक्षक दल एमएलसी सुरेश कुमार त्रिपाठी ने अपर शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव और वित्त नियंत्रक को दो सितंबर को बकाया भुगतान के दर्जनों लंबित प्रकरणों की सूची देते हुए इनके तत्काल निस्तारण का अनुरोध किया है। माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों की मानें तो शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा।
किसी न किसी बहाने से शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की फाइल फंसा देते हैं। इसके बाद दफ्तर बुलाकर सौदा तय करके धनउगाही करते हैं।
कृषि इंटर कॉलेज जयसिंहरपुर मेरठ के भूगोल प्रवक्ता कुंवरपाल सिंह के प्रोन्नत वेतनमान का 4,39,697 के भुगतान का मामला 28 दिसंबर 2018 से शिक्षा निदेशालय में लंबित है।
नेहरू इंटर कॉलेज औरैया के शिक्षक दिनेश चतुर्वेदी, विनीता चतुर्वेदी और श्याम सुंदर की एसीपी स्वीकृत होने के बाद बकाया एरियर 6,86,703 रुपये के भुगतान का मामला 30 जून 2017 से शिक्षा निदेशालय में लंबित है।
यह हैं हालात
● मुख्यमंत्री ने तीन दिन में फाइल निपटाने के दिए हैं आदेश
● शिक्षा निदेशालय में सालों से चक्कर काट रही फाइलें
● औरैया के शिक्षक का 2017 से अब तक भुगतान नहीं
● मेरठ के शिक्षक का दिसंबर 2018 से फंसा एरियर