ITR : सैलेरी वालों के सामने फाइल करने में आती हैं ये 5 दिक्कतें, ऐसे पाएं छुटकारा


Income Tax Return : 2.5 लाख रुपये से अधिक वार्षिक आय वाले सैलेरी पाने वाले लोगों के लिए आयकर रिटर्न (आईटीआर) फाइल करना जरूरी है। इनकम टैक्स के नियमों में कई ऐसे प्रावधान हैं, जिनके जरिए कर्मचारी अपने कुल टैक्स खर्च को कम कर सकते हैं।



हालांकि, फिर भी कई कर्मचारी इन टैक्स सेविंग्स प्रावधानों का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाने में विफल रहते हैं। इसीलिए हम आपको यहां सैलेरी वाले कर्मचारियों के सामने आने वाली पांच सामान्य समस्याओं और उनके समाधान के बारे में बताएंगे।

उपलब्ध कटौतियों (डिडक्शन) के बारे में जानकारी

बड़ी संख्या में सैलेरी वाले कर्मचारी इनकम टैक्स की धारा 80सी के अलावा उनके लिए उपलब्ध कटौतियों से अनजान होते हैं। जानकार कहते हैं कि टैक्स लायबिलिटी को कम करने के लिए टैक्स प्लानिंग अवेयरनेस जरूरी है, जो कि कई तरीकों से मिलती है। इनमें जो धाराएं हैं उनमें 80 सीसीडी (1बी), 80डी, 80ई, 80 ईईए, 80 ईईबी, 80 जी, 80 टीटीए, 80 टीटीबी और 80 यू शामिल हैं। इनके लिए एजुकेट होने की जरूरत है।

मल्टीपल फॉर्म 16 के कारण कम टीडीएस काटा जाना

जब भी कोई कर्मचारी अपनी नौकरी बदलता है, तो एम्प्लोयर स्टैंडर्ड कटौती और बेसिक छूट का दावा करता है जिसके कारण टीडीएस कम काटा जाता है और कर्मचारी रिटर्न दाखिल करते समय ब्याज के साथ सेल्फ असेसमेंट टैक्स का भुगतान करता है। इससे बचने के लिए कर्मचारी को अपने मौजूदा एम्प्लोयर को पिछले एम्प्लोयर से प्राप्त आय की घोषणा करनी चाहिए ताकि यह फॉर्म 16 में भी दिखाई दे और उसी के हिसाब के टीडीएस काट लिया जाए।

एचआरए (हाउस रेंट अलाउंस) टैक्स रिलीफ का लाभ नहीं उठा पाते

कई कर्मचारी अक्सर अपने एम्प्लोयर को समय पर एचआरए दस्तावेज जमा करने में विफल रहते हैं। इसलिए, वे टैक्स लायबिलिटी की कैल्कुलेट करते समय एचआरए छूट पर विचार नहीं करता है, जिसके नतीजे में पूरे वर्ष टीडीएस की उच्च स्तर पर कटौती होती है। टैक्स एक्सपर्ट्स के अनुसार, कर्मचारियों को ऐसी स्थिति से बचने के लिए तीन काम करने चाहिए। इनमें वर्ष की शुरुआत में किराए की घोषणा प्रदान करना, रेंट एग्रीमेंट, रेंट रिसिप्ट और एंप्लॉयर की ओर से जरूरी अन्य डॉक्युमेंट्स समय पर जमा करना और यदि अपने एम्प्लोयर से एचआरए प्राप्त नहीं करता है तो 60000 रु तक धारा 80 जीजी के तहत कटौती का दावा करना शामिल हैं।

सैलेरी के अलावा अन्य इनकम पर एडवांस टैक्स का भुगतान न करने के चलते ब्याज और दंड

वेतनभोगी कर्मचारी अक्सर इस बात को मानते हैं कि उनके एम्प्लोयर द्वारा टीडीएस काटा जा रहा है और इसलिए उनके द्वारा कोई एडवांस टैक्स भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, इससे रिटर्न फाइलिंग के समय धारा 234बी और 234सी के तहत ब्याज और जुर्माना लगता है। ऐसी स्थितियों से बचने के लिए कर्मचारियों को दो कदम उठाने चाहिए। इनमें वर्ष की शुरुआत में एम्प्लोयर को वेतन के अलावा अन्य सभी आय की घोषणा करना और वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले कुल टैक्स लायबिलिटी का 90% भुगतान किया जाना शामिल हैं।

एआईएस (वार्षिक सूचना विवरण) में दर्शाई गई आय की सूचना देने से चूकना

यदि एआईएस की जांच नहीं की जाती है या 26एएस में परिलक्षित आय बेमेल हो तो एक वेतनभोगी व्यक्ति अपनी आय को कम बता सकता है। जानकार कहते हैं कि आय की सटीक रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के लिए, कर्मचारी को आंकड़ों का मेल करना चाहिए और फॉर्म 26 एएस में किसी भी तरह की गड़बड़ी के मामले में नियोक्ता/फॉर्म 16 के साथ इसका मिलान करना चाहिए।