प्राथमिक स्कूल पोर्टल के फेर में फंस गए पांच करोड़





प्राथमिक स्कूल पोर्टल के फेर में फंस गए पांच करोड़प्राथमिक स्कूल पोर्टल के फेर में फंस गए पांच करोड़● सुशील सिंह

लखनऊ। लखनऊ के प्राथमिक स्कूलों को विकास के लिए मिले कम्पोजिट ग्रांट के पांच करोड़ रुपये पीएफएमसी पोर्टल के चक्कर में फंस गए हैं। 80 फीसदी स्कूल अभी तक इन रुपयों का भुगतान नहीं कर पाए हैं। 31 मार्च तक इन रुपयों का भुगतान नहीं होने पर यह धनराशि वापस शासन के खाते में चली जाएगी।

शासन ने लखनऊ के 1618 प्राथमिक, जूनियर और कम्पोजिट स्कूलों के विकास कार्यो के लिए जलुाई में 6 करोड़ 32 लाख रुपये जारी किये थे। बीएसए ने यह राशि स्कूल वार स्कूल प्रबंध समिति (एसएमसी) के बैंक खाते में स्थानांतरित कर दी थी।

100 बच्चों पर 25 हजार, 100 से 250 बच्चों पर 50 हजार व 250 से अधिक बच्चों वाले स्कूलों को 75 हजार रुपये कम्पोजिट ग्रांट जारी की गई थी।

इसका उपयोग स्कूलों में स्वच्छता, पेयजल, स्मार्ट कक्षा, टाइल्स, पढ़ाई उपयोगी सामाग्री, रंग पोताई आदि के काम होना है। इसका भुगतान पीएफएमसी पोर्टल के जरिए करना है। महज 20 फीसदी ही स्कूल इसका उपयोग कर पाए हैं।

पीएफएमसी का प्रशिक्षण हर ब्लॉक से सिर्फ चार या पांच को दिया गया है। जिसकी वजह से अन्य इसका संचालन नहीं कर पा रहे हैं। जिसकी वजह से कम्पोजिट ग्रांट का उपयोग नहीं हो पा रहा है।

-विनय सिंह, प्रान्तीय अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक, स्नातक एसोसिएशन

कम्पोजिट ग्रांट स्कूलों के खाते में भेजी जा चुकी है। पीएफएमसी पोर्टल के संचालन का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। जिसे कोई दिक्कत है। वह बीईओ और बीएसए कार्यालय से इस बाबत संपर्क करें।

-अरुण कुमार, बीएसए

यह है पीएफएमसी पोर्टल

शासन ने पहली बार पीएफएमसी पोर्टल के जरिए कम्पोजिट ग्रांट के भुगतान की सुविधा शुरू की है। सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) एक वेब-आधारित ऑनलाइन सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन है। यूपी के 75 जिलों में 132886 परिषदीय स्कूल हैं। लखनऊ तरह दूसरे जिलों के स्कूलों को कम्पोजिट ग्रांट जारी गई है।

पंजीकरण नहीं हो पा रहा है

यूपी प्राथमिक शिक्षक संघ के मंत्री वीरेन्द्र सिंह का कहना है कि पीएफएमसी पोर्टल पर पंजीकरण नहीं हो पा रहा है। प्रधानाध्यापक खुद का व स्कूलों में काम कराने वाले दुकानदार व वेंडर का आईडी पासवर्ड नहीं बना पा रहे हैं।

कई स्कूलों में पीएफएमसी पोर्टल के संचालन की वजह से इसका उपयोग नहीं किया जा पा रहा है।