भारत में अगले पांच वर्षों में 22% नौकरियों पर संकट, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की प्रकाशित रिपोर्ट में दावा


वैश्विक श्रम बाजार उथल-पुथल के एक नए युग के लिए तैयार है, क्योंकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी टेक्नोलॉजी से लिपिकीय कार्यों में गिरावट आई है, साथ ही प्रौद्योगिकी और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की मांग बढ़ रही है।



वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, अगले पांच वर्षों में एआई, डिजिटलीकरण के कारण लगभग एक चौथाई नौकरियां बदल जाएंगी।


23 फीसदी श्रम बाजार प्रभावित होगा वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम फ्यूचर ऑफ जॉब्स 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, 23 प्रतिशत वैश्विक श्रम बाजार अगले पांच वर्षों में प्रभावित होगा। एआई जैसी नई तकनीक से लिपिकीय कार्य में गिरावट शुरू होगी, साथ ही साथ प्रौद्योगिकी और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की मांग में वृद्धि होगी।



8.3 करोड़ नौकरियां जाएंगी

रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में 8.3 करोड़ नौकरियां खत्म होंगी जबकि 6.9 करोड़ नौकरियों का निर्माण होने का अनुमान है। जिससे अगले पांच वर्षों में 15.2 करोड़ नौकरियों पर उथल पुथल मची रहेगी।



75% कंपनियां अपनाएंगी

 

75 फीसदी कंपनियों ने कहा कि वे अगले पांच वर्षों में एआई अपनाएंगे। इससे रिकॉर्ड रखने, प्रशासनिक पदों पर 2.6 करोड़ नौकरियां खत्म होगी। इसमें कैशियर, टिकट क्लर्क, डाटा इंट्री की नौकरियां हैं।



भारत में भी ऐसे ही बदलाव का जताया अनुमान

 

एआई से भारतीय नौकरी बाजार में अगले पांच वर्षों में 22 उथल-पुथल होने का अनुमान है। 61कंपनियां सोचती हैं कि पर्यावरण, सामाजिक व शासन मानकों के व्यापक अनुप्रयोग से नौकरी में वृद्धि होगी, इसके बाद नई तकनीकों को अपनाने में (59) तथा डिजिटल पहुंच( 55) में वृद्धि होगी।


एआई सबसे बड़ी चुनौती

 

रिपोर्ट में कहा गया है कि एआई एप्स जैसे चैटजीपीटी, कई नौकरियों को खत्म करने तथा उसे स्वचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा जिसमें तर्क, संचार और समन्वय जैसी भूमिकाएं शामिल हैं।



सेक्टरवाइज स्थिति

एआई, मशीन लर्निंग, बिजनेस इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञों की मांग अधिक होगी। जबकि बड़ी गिरावट बैंक क्लर्क, पोस्टल क्लर्क, कैशियर, क्लर्क के लिए होगी।