स्मार्ट क्लास का ख्वाब, कंप्यूटरों का नहीं हिसाब, 2018 में स्कूलों को आवंटित कंप्यूटरों का पता नहीं


बलरामपुर


बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय स्कूलों को हाईटेक बनाने के लिए सरकार गंभीर है। जनपद स्तर पर भी 245 स्कूलों को स्मार्ट बनाने का तानाबाना बुना जा रहा है। पांच साल पहले 22 उच्च प्राथमिक स्कूलों को आवंटित कंप्यूटरों का अता पता नहीं है। वर्ष 2006-07 से वर्ष 2011-12 के बीच जिले के 114 स्कूलों को भी कंप्यूटर दिए गए थे। अधिकांश स्कूलों में बिजली न होने से कंप्यूटर गुरुजनों के घर की शोभा बन गए। पूर्व में आवंटित कंप्यूटरों की जांच दबाकर नए कंप्यूटर का बजट भी डकार लिया गया। वर्तमान में कंप्यूटर कहां है, इसका जवाब जिम्मेदारों के पास नहीं है। अधिकारी बदलते गए, लेकिन गुरुजन व कंप्यूटर का पटल देख रहे बाबू से कभी इसका हिसाब लेना मुनासिब नहीं समझा।


100 से अधिक छात्र संख्या वाले 22 स्कूलों के नौनिहालों को कंप्यूटर में दक्ष बनाने के लिए साढ़े 27 लाख रुपये खर्च तो हुए, लेकिन बच्चों को नसीब नहीं हुआ। पहले विभाग ने जिले के 12 अधोमानक पूर्व माध्यमिक विद्यालयों का चयन कर 15 लाख का बजट अवमुक्त करा लिया था। इसके बाद कंप्यूटर लगाने के लिए 10 नए उच्च प्रावि और चयनित किए गए। इसके लिए विभाग को 12.5 लाख रुपये मिले। अधिकांश स्कूलों में कंप्यूटर अनुदेशक की तैनाती व बिजली कनेक्शन न होने से गुरुजी के घरों में कंप्यूटर धूल फांकते रहे.


विजली न टीचर कैसे हुआ चयन तुलसीपुर के उच्च प्रावि भंभरी में अनुदेशक न होने से पांच साल से कंप्यूटर धूल फांक रहा है। उच्च प्रावि मिर्जापुर में चोरी होने के डर से एक कंप्यूटर विद्यालय में नहीं रखा गया। दूसरा कंप्यूटर तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी महेंद्र कुमार ले गए थे। वह बीआरसी पर लगा हुआ है। गँड़ासबुजुर्ग शिक्षा क्षेत्र के उच्च प्रावि सोनहट में भी चोरी होने के डर से कंप्यूटर गुरुजी के घर पर रखवा दिया गया। अनुदेशक की तैनाती है। और न विद्यालय का विद्युतीकरण हुआ है। हरैया सतघरवा के पूर्व माध्यमिक विद्यालय देवपुरा को भी कंप्यूटर आवंटित हुआ था।

चयनित हुए थे ये स्कूल शिक्षा सत्र 2018-19 में 22 उच्च प्राथमिक स्कूलों को कंप्यूटर आवंटित किया गया था, शेखापुर, तिसाह, बेलहसा, सदाडीह, मजगवां, बरगदवा सैफ, सोनहट जिगनाघाट, सहजौरा, गँड़हवा व भंभरी पहले ही चयनित थे। नई सूची में बहादुरगंज, देवपुरा, बरदौलिया, रसूलाबाद, परसा पलईडीह, मिर्जापुर, सहजौरा, बरायल, सिरसिया, आबर, अजबनगर व गंगाडीह स्कूल को शामिल किया कंप्यूटरों के गोलमाल के संबंध में तत्कालीन बीएसए हरिहर प्रसाद ने जनसूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सूचना मांगी गई थी। सूचना न देने पर सूचना आयुक्त ने पूरी जानकारी देने की हिदायत दी थी। उनका तबादला हो जाने पर मामला ठंडे बस्ते में चला गया।