सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीएड वालों को हटाने की मांग पर अड़ गए डीएलएड वाले, 69000 भर्ती को भी लपेटने की तैयारी

  कक्षा एक से पांच तक के स्कूलों की शिक्षक भर्ती में बीएड को मान्य करने वाली राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की 28 जून 2018 की अधिसूचना सुप्रीम कोर्ट से खारिज होने के बाद डीएलएड और बीएड अभ्यर्थियों में तल्खी बढ़ गई है। राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में संभल के बीटीसी (अब डीएलएड) 2015 बैच के प्रशिक्षु राजवसु आर्य की भी याचिका संबद्ध थी। 




पिछले महीने 11 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद राजवसु ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखकर बीएड चयनितों को बाहर करने की मांग की है। निदेशक एससीईआरटी लखनऊ और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज को भेजे पत्र में परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की ओर से 69000 भर्ती के लिए पांच दिसंबर 2018 को जारी विज्ञापन रद्द करने की मांग की है। 


राजवसु का कहना है कि एनसीटीई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन करने की सूचना सभी राज्यों को भेज दी है। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से न तो अब तक कोई अधिकारिक बयान आया और न ही कोई कार्रवाई की गई है।


हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट में हो चुकी याचिकाएं

परिषदीय प्राथमिक स्कूलों की 69000 सहायक अध्यापक भर्ती से बीएड अभ्यर्थियों को बाहर करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक याचिकाएं हो चुकी है। इस भर्ती में मामूली अंकों से वंचित डीएलएड (बीटीसी) अभ्यर्थियों ने चयनित बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों को छह महीने का अनिवार्य ब्रिज कोर्स न करवाने को लेकर पिछले दिनों हाईकोर्ट में याचिका की थी। उससे पहले शिक्षामित्रों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका की गई थी।