: कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन की प्रक्रिया तेज हो गई है। इसमें विलय होने वाले विभागों का दायित्व लिया जा रहा है। उनसे परिसंपत्तियों और मुकदमों का विवरण ले लिया गया है।
प्रदेश सरकार का प्रयास है कि नया आयोग सुचिता को बनाए हुए गुणवत्तापूर्ण काम करे। इसका संगठनात्मक ढांचा उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की तरह रखा जाएगा। आयोग की तरह ही परीक्षाओं का काम आउटसोसिंग से नहीं कराया जाएगा। भर्ती के सभी काम आयोग खुद करेगा। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के परिसर में नए आयोग का मुख्यालय होगा। यूपीपीएससी में आउटसोर्सिग से कोई कर्मचारी नहीं रखा जाता है। परीक्षा से जुड़े सभी काम आयोग के कर्मचारियों के भरोसे होता है। आवेदन लेने के लिए या अन्य कोई तकनीकी काम भी आयोग खुद अपने संसाधन से करता है। जिससे कि भर्ती में किसी बाहरी व्यक्ति का दखल न हो।
इसी से आयोग की सुचिता बनी हुई है। दूसरी भर्ती एजेंसियां आउटसोसिंग से काम करवाती हैं, इसलिए विवाद होता है। भर्तियों की निष्पक्ष पर सवाल उठता है और अयोग्य लोगों का चयन हो जाता है। मामले कोर्ट तक जाते हैं और भर्तियां समय से पूरी नहीं होती है।
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने आउटसोसिंग से परीक्षा का काम करवाया था तो गड़बड़ी हुई। कोर्ट की फटकार पर आयोग को परिणाम बदलना पढ़ा, लेकिन अब तक उन चयनितों को नौकरी नहीं मिली। पूर्व में हुई समस्याओं को देखते हुए नए आयोग ने यूपीपीएससी का संगठनात्मक ढांचा लेने का निर्णय लिया है। इसके संगठनात्मक ढांचे में सचिव, परीक्षा नियंत्रक, उप सचिव, संयुक्त सचिव विधि, रिसर्च आफिसर, सिस्टम एनालिस्ट आदि की नियुक्ति होगी। इन पदों पर चयन के लिए शासन में प्रक्रिया चल रही है। यह आयोग शुरू हो तो बेसिक से लेकर उच्च शिक्षा तक के शिक्षण संस्थाओं में रिक्त शिक्षकों के हजारों पद पर चयन हो सके और युवाओं को रोजगार मिले।