फर्जी कूटरचित दस्तावेज पर नौकरी पाने वाली शिक्षिका को जमानत नहीं

 सिद्धार्थनगर। जनपद एवं सत्र न्यायाधीश संजय कुमार मलिक ने फर्जी कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने वाली शिक्षिका की जमानत खारिज कर दी है। कोर्ट ने गोरखपुर के थाना चिलुआताल क्षेत्र के चिंउटहा निवासी शिक्षिका पूनम कुमारी जायसवाल की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दिया है। वह छल, कपट, कूटरचना, फर्जीवाड़ा के अपराध की अभियुक्ता है। इतने गंभीर अपराधों के बावजूद पुलिस ने उसे गिरफ्तार नहीं किया है।




बहुचर्चित मामला फर्जी दस्तावेजों के आधार पर प्राथमिक शिक्षक की नौकरी पाने का है। खंड शिक्षा अधिकारी उसका बाजार ने चार अक्टूबर 2023 को थानाध्यक्ष उसका बाजार लिखित प्रार्थना पत्र दिया था। उन्होंने बताया था बीएसए कार्यालय के पत्र के अनुसार पूनम कुमारी जायसवाल का स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित प्रमाण पत्र सत्यापन कराने के उपरांत असत्य पाया गया है, जिस कारण 20 सितंबर 2022 को पूनम कुमारी जायसवाल की सेवा समाप्त कर सुसंगत धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराये जाने का आदेश किया गया।


जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के 20 सितंबर 2022 के आदेश के अनुसार सहायक अध्यापकों की भर्ती के तहत पूनम कुमारी जायसवाल का स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित प्रमाण पत्र असत्य पाया गया है। जांच रिपोर्ट में पूनम कुमारी जायसवाल पुत्री गोरख प्रसाद जायसवाल द्वारा नियुक्ति के समय प्रस्तुत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित प्रमाण पत्र का विभागीय सत्यापन जारीकर्ता कार्यालय जिलाधिकारी द्वारा करवाया गया। संबंधित कार्यालय के पांच अक्तूबर 2017 के पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया कि पूनम जायसवाल का प्रमाण पत्र इस कार्यालय के किसी भी रजिस्टर में दर्ज नहीं पाया गया तथा उक्त प्रमाण पत्र इस कार्यालय से निर्गत नहीं किया गया है।

पुलिस ने केस दर्ज कर विवेचना शुरू किया और साक्ष्य संकलन किया। आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित नहीं है। अभियुक्ता ने न्यायालय में अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र दाखिल किया और खुद को निर्दोष बताया। न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनकर जमानत का आधार पर्याप्त नहीं पाया और उसकी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दिया।