राजकीय हाईस्कूल और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक या प्रधानाध्यापिका और राजकीय इंटर कॉलेजों में उप प्रधानाचार्य के पद पर तैनात 299 शिक्षकों ने कार्यभार ग्रहण नहीं किया। इनमें से तकरीबन 50 शिक्षक तो तैनाती आदेश जारी होने के तीसरे दिन ही सेवानिवृत्त हो गए जबकि शेष अन्य ने बहुत दूर स्कूल मिलने के कारण कार्यभार ग्रहण नहीं किया। माध्यमिक शिक्षा निदेशक महेन्द्र देव की ओर से नौ मई को पदस्थापन में संशोधन का प्रस्ताव शासन को भेजा था लेकिन अब तक सुनवाई नहीं हो सकी है। शासन को भेजी रिपोर्ट के मुताबिक दो शिक्षकों और पांच शिक्षिकाओं ने पदोन्नति लेने से इनकार कर दिया जबकि 77 ने ही कार्यभार ग्रहण किया।
156 (29 शिक्षकों और 127 शिक्षिकाओं) ने आवेदन देकर पदस्थापन में संशोधन का अनुरोध किया है। इन शिक्षकों की पदोन्नति के लिए विभागीय चयन समिति की बैठक 11 दिसंबर 2024 को माध्यमिक शिक्षा निदेशक के कैंप कार्यालय लखनऊ में हुई थी। इनका पदोन्नति आदेश तीन महीने बाद 12 मार्च 2025 को जारी हुआ और 25-26 मार्च को ऑनलाइन विकल्प लेने के बाद 28 मार्च को पदस्थापन आदेश जारी हुआ। पीड़ित शिक्षकों का कहना है कि यदि समय से पदोन्नति सूची जारी होती तो शायद ये नौबत नहीं आती। यही नहीं पदस्थापन के लिए स्कूलों में रिक्तियों का ब्योरा भी छुपा लिया गया जिससे नजदीक की बजाय दूर के स्कूलों का विकल्प देना मजबूरी हो गई।