विद्यालय मर्जर के विरुद्ध ग्रामीणों का एकजुट विरोध: खंड शिक्षा अधिकारी के दबाव के बावजूद प्रधानाध्यापिका का वैधानिक स्टैंड
आज पूर्वांचल के एक जिले के एक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका का फोन आया। उन्होंने बताया कि प्रबंध समिति और अभिभावकों की खुली बैठक हुई, जिसमें सभी ने एक स्वर में मर्जर या पेयरिंग के विरोध में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया। इसके बाद प्रस्ताव खंड शिक्षा अधिकारी महोदय को भेज दिया गया। पुनः खंड शिक्षा अधिकारी ने प्रधानाध्यापिका से कहा कि आप जैसे भी हो, ग्रामीणों को समझा-बुझाकर मर्जर के पक्ष में स्वीकृति लीजिए और सहमति पत्र दीजिए। हमारी बातचीत प्रधानाध्यापिका से चल ही रही थी कि खंड शिक्षा अधिकारी दल-बल के साथ विद्यालय पहुंच गए। प्रधानाध्यापिका ने बताया कि खंड शिक्षा अधिकारी आ गए हैं, थोड़ी देर में आपसे बात करती हूं। कुछ देर बाद उनका फिर फोन आया कि हमें क्या करना चाहिए। हमारा मानना है कि प्रधानाध्यापक नियमानुसार इसके विपरीत अपना मत नहीं दे सकता। प्रधानाध्यापक प्रबंध समिति का सदस्य /संयोजक/सचिव मात्र है और प्रबंध समिति बहुमत या सर्वसम्मति से जो भी निर्णय लेती है, (प्रबन्ध समिति में अभिभावक ही रहते हैं अधिकता में )प्रधानाध्यापक उसके विपरीत अलग से अपना मत नहीं दे सकता यदि देता है तो यह विधि विरुद्ध होगा यहां यह बात स्पष्ट होनी चाहिए। किसी भी जानकारी या परामर्श के लिए 9415023170 पर संपर्क कर सकते हैं ।
आपका
एस के पाठक
9415023170