01 July 2025

स्कूलों में आज से बजेगी घंटी, बच्चों को मिलेंगी नई किताबें: स्कूल चलो अभियान का आज से शुरू

 

लखनऊः गर्मी की छुट्टियों के बाद एक बार फिर स्कूलों की रौनक लौटने वाली है। मंगलवार से प्रदेश के 1.32 लाख परिषदीय विद्यालयों के द्वार खुलने जा रहे हैं। करीब दो करोड़ बच्चे स्कूलों में लौटेंगे। इस बार न सिर्फ 'स्कूल चलो अभियान' के दूसरे चरण की शुरुआत होगी, बल्कि पहली से तीसरी कक्षा तक के उन 45 लाख बच्चों को भी नई किताबें मिलेंगी, जो अप्रैल में बगैर किताबों के स्कूल आ रहे थे। 




बेसिक शिक्षा विभाग ने निर्देश दिया है कि स्कूल खुलते ही नव प्रवेश लेने वाले बच्चों का गर्मजोशी से स्वागत किया जाए। हर स्कूल को निर्देश मिला है कि बच्चों को सहज, प्रेरक और उत्साहवर्धक माहौल मिले।


'स्कूल चलो अभियान' का दूसरा चरण मंगलवार से शुरू हो जाएगा, जो 15 जुलाई तक चलेगा। इसका उद्देश्य अधिकतम बच्चों का नामांकन और स्कूल से उनका जुड़ाव सुनिश्चित करना है। बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल के मुताबिक, सभी जिलों के बीएसए को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि नामांकन अभियान में कोई कोताही न हो। जनप्रतिनिधियों, विद्यालय प्रबंधन समितियों, मातृ समूहों और स्थानीय समाजसेवियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाए। गांवों और मोहल्लों में अभिभावकों की बैठकें आयोजित कर उन्हें प्रेरित किया जाएगा कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजें और यूनिफार्म पहनाकर नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करें। उधर, अप्रैल में स्कूल खुलने पर पहली से तीसरी कक्षा तक के बच्चों को किताबें नहीं मिल पाई थीं, जिससे वे खाली हाथ स्कूल आ रहे थे। अब किताबें जिलों तक पहुंच चुकी हैं और स्कूल खुलते ही 45 लाख बच्चों को मुफ्त पाठ्यपुस्तकें वितरित की जाएंगी। बेसिक शिक्षा विभाग ने जिलों के बीएसए को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि किसी भी स्कूल में किताबों की कमी न हो।


विभाग का दावा है कि नामांकन कराने वाले सभी बच्चों के अभिभावकों के खातों में यूनिफार्म, बैग और अन्य मदों की धनराशि ट्रांसफर की जा चुकी है। 'स्कूल चलो अभियान' के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सरकार ने हर जिले को दो लाख रुपये की धनराशि पहले ही जारी कर दी है। यह राशि अभियान के प्रचार-प्रसार, जनभागीदारी, बाल मेलों, रैलियों, पैम्फलेट व पोस्टर आदि के लिए उपयोग की जाएगी। विभाग इस बार स्कूलों को सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रख रहा। विशेष कक्षाएं,बालसभा, प्रार्थना में संवाद और 'खेल के साथ शिक्षा' जैसे नवाचारों पर भी जोर रहेगा।