छात्र संख्या के आधार पर वेतन, कोर्ट पहुंचे प्रभारी प्रधानाध्यापक
प्रयागराज, । छात्रसंख्या के आधार पर प्रभारी
प्रधानाध्यापकों को नियमित प्रधानाध्यापकों के समान वेतनमान देने का विवाद हाईकोर्ट पहुंच गया है। पूर्व में कई मामलों में हाईकोर्ट ने प्रभारी को प्रधानाध्यापक के समान देने के आदेश दिए थे। बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने इन आदेशों का अनुपालन नहीं किया तो कई शिक्षकों ने अवमानना याचिका कर दी। दी। उसके बाद 14 अक्तूबर को एक आदेश जारी किया, जिसमें प्राथमिक विद्यालयों में 150 या अधिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 100 से अधिक छात्रसंख्या होने पर ही प्रभारी को नियमित प्रधानाध्यापक के समान वेतन देने की बात कही गई थी।
परिषदीय स्कूलों में प्रभारी को प्रधानाध्यापक का वेतनमान देने का मामला प्राथमिक में 150 और उप्रावि में 100 बच्चों पर दे रहे वेतनमान
शासनादेश में ऐसे प्रभारी प्रधानाध्यापकों को केवल पर्यवेक्षकीय कार्यों की जिम्मेदारी देने का प्रावधान किया गया है जिनके यहां प्राथमिक में 150 और उच्च प्राथमिक में 100 से कम छात्र हैं। शासनादेश में यह भी साफ किया गया है कि यदि वरिष्ठ शिक्षक जिम्मेदारी नहीं निभाते तो उनसे कनिष्ठ शिक्षक को तब तक के लिए प्रभारी प्रधानाध्यापक बनाया जाएगा, जब तक पदोन्नति से नियमित नियुक्ति न हो जाए। इस आदेश के
आधार पर बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने छात्रसंख्या के आधार पर प्रभारी प्रधानाध्यापकों के पद पर तैनाती के लिए वरिष्ठता सूची के अनुसार शिक्षकों से विकल्प भी लेना शुरू कर दिया है। इस बीच उन शिक्षकों ने 14 अक्तूबर के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है जहां इस मानक के अनुसार छात्रसंख्या कम है। उनका कहना है कि यह शासनादेश समान कार्य के लिए समान वेतन के सिद्धांत का उल्लंघन करता है और न्यायालय के निर्णय की भावना के विपरीत है। शिक्षक संगठनों ने भी इस शासनादेश पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि न्यायालय के आदेश के बाद सरकार को सभी प्रभारी प्रधानाध्यापकों को समान वेतन देना चाहिए, न कि केवल चुनिंदा विद्यालयों या याचियों तक इसे सीमित करना चाहिए।

