प्रयागराज। समय के साथ सरकार ने प्रशासनिक अफसरों की कार्यशैली में बहुत बदलाव किए हैं, लेकिन कर्मचारियों के भत्तों में कोई बदलाव नहीं हुआ। आज के दौर में जहां लेखपाल कार व बाइक से चलते हैं, लेकिन उन्हें यात्रा भत्ते के रूप में साइकिल भत्ता दिया जाता है। वो भी 200 रुपये महीने। अब समस्या यह है कि हर काम के लिए लेखपालों को बुलाया जाता है। मुख्यालय की बैठकों में भी वे शामिल होते हैं। दरअसल यह व्यवस्था उस समय से चली आ रही है जब 80 के दशक तक लेखपालों को पटवारी कहा जाता था। तब अधिकांश लोग साइकिल से ही चलते थे। उस दौर में 200 रुपये बहुत बड़ी रकम भी मानी जाती थी। समय के साथ स्थिति में बदलाव आया और मोटरसाइकिल, स्कूटी तो सभी के पास आ गई, बहुत से लोग कार से भी चलने लगे, लेकिन इस भत्ते में कोई बदलाव नहीं आया। इसे आज भी साइकिल भत्ते के नाम से जाना जाता है और राशि भी 200 रुपये ही है। समस्या यह है कि मुख्यालय में होने वाली बैठक में कोरांव, मेजा, करछना, हंडिया, फूलपुर, प्रतापपुर या फिर सदर तहसील में ही तैनात लेखपाल जब आते हैं तो इस 200 रुपये से उनका क्या होगा। लेखपाल संघ के अध्यक्ष राज कुमार सागर का कहना है कि इस भत्ते को बढ़ाने की मांग लंबे समय से रखी गई है। महामंत्री अवनीश पांडेय का कहना है कि आज 200 रुपये में कौन सी यात्रा होती है, अब यह कौन बताएगा।
● आज दफ्तरों में कंप्यूटर और लैपटॉप लग चुके हैं।
● कई जगह बायोमेट्रिक हाजिरी लगाने की व्यवस्था है।
● ई ऑफिस पर काम शुरू हो चुका है, स्टेशनरी कम।
● यो टैगिंग का काम शुरू हो चुका, जो पहले नहीं था।
● सोशल मीडिया पर भी काम को तवज्जो दी जा रही है।

