रामपुर। डायरेक्ट बैनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से 1.13 लाख बच्चों के खाते में ड्रेस, बैग, जूता और मोजे खरीदने के लिए धन अब तक अभिभावकों के खाते में नहीं आ सका है। ऐसे में बिना धन के अभिभावक कैसे यूनिफार्म, जूते मोजे और बैग खरीद सकेंगे। जबकि, सर्दी शुरू हो चुकी है।
सरकार की ओर से परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए तमाम योजनाएं संचालित की जा रही हैं। यहां तक कि बच्चों को ड्रेस, जूते मोजे, स्वेटर और बैग तक उपलब्ध कराए जाते हैं। किन्तु, इस बार सरकार ने इसका पैसा सीधे अभिभावकों के खाते में भेजने की योजना बनाई थी, जिसके बाद छह नवंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ डीबीटी के माध्यम से रुपये भेजने की शुरुआत की थी। इसके तहत प्रत्येक बच्चे को 1100 रुपये डीबीटी के माध्यम भेजे जाने थे।
113325 बच्चों के 64323 अभिभावकों के खाते में यह धनराशि आनी थी। लेकिन, तकनीकी खामियों की वजह से अब तक यह धनराशि बच्चों के अभिभावकों के खाते में नहीं आ सकी है। बेसिक शिक्षा विभाग के कर्मचारियों की मानें तो धनराशि पूरे प्रदेश में एक साथ अभिभावकों के खाते में भेजी जाएगी, लेकिन 53 जिलों की फाइलों में कुछ तकनीकी कमी रह गई है। जिसकी वजह से बाकी बच्चों के अभिभावकों के खाते में भी धनराशि नहीं आ सकी है। ऐसे में अभिभावक परेशान हैं। उनका कहना है कि सर्दी तो शुरू हो गई हैं। ऐसे में बिना पैसे के जूते मोजे, बैग और यूनीफार्म कैसे खरीदे जाएंगे।
हमारा बेटा राज कक्षा चार में और कुलदीप कक्षा एक में भोट स्थित प्राथमिक विद्यालय में पढ़ते हैं। अध्यापकों ने बताया था कि जूते-मोजे, ड्रेस और बैग के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता हमारे खाते में आ जाएगी। लेकिन, अब तक कोई रकम बैंक खाते में नहीं आई है। -गीता, अभिभावक, ग्राम भोट, रामपुर।
हमारा एक बच्चा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में पढ़ता है। हम रोजाना ही खाते में डीबीटी योजना के तहत आने वाले पैसों को देखने के लिए जाते हैैं, ताकि उस पैसे से बच्चे के लिए ड्रेस, जूते-मोजे आदि खरीद सकें, क्योंकि सर्दी का मौसम शुरू हो गया है। किन्तु, अब तक हमारे खाते में पैसे नहीं आ पाए हैं। -गंगा देवी, अभिभावक, ग्राम बहापुर बिलासपुर।
गांव की सरकारी स्कूल में मेरी बेटी नेहा कक्षा सात में पढ़ती है। बताया गया था कि सरकार की ओर से ड्रेस और जूते मोजे के रुपये आएंगे। लेकिन, उसके रुपये अब तक हमारे खाते में नहीं आए हैं। रोजाना खाता चेक करने के लिए बैंक या एटीएम तक जाना पड़ता है। -नसीम जहां, अभिभावक, ग्राम खरसौल, शाहबाद।
गांव के प्राथमिक स्कूल में मेरे दो बेटियां जिया कक्षा दो और जैनब कक्षा तीन में पढ़ती है। सरकार की ओर से मिलने वाली ड्रेस और जूतों के लिए पैसा अभी खाते में नहीं आया है। हमने मंगलवार को ही खाता चेक कराया था। रुपये आने के बाद बच्चों के लिए जूते, मोजे, ड्रेस, बैग आदि खरीदा जा सकेगा। -वजाहत, अभिभावक, ग्राम खरसौल, शाहबाद।
ड्रेस, जूतेे-मोजे और स्कूल बैग के रुपये डीबीटी के जरिए अभिभावकों के खाते में जाने थेे। लेकिन, कुछ तकनीकी दिक्कतों की वजह से पैसे अभिभावकों के खाते में नहीं जा सके हैं। यह दिक्कत शासन स्तर से ही है। उम्मीद है कि जल्द समस्या दूर हो जाएगी और रुपये अभिभावकों के खाते में आ जाएंगे। -कल्पना सिंह, जिला बेसिक शिक्षाधिकारी, रामपुर।