मैनपुरी डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की फजी बीएड डिग्री की शिकायत पर वर्ष 2019 में बर्खास्त किए गए 44 में से 41 शिक्षक फिर से परिषदीय स्कूलों में शिक्षण कार्य करेंगे। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और प्रमुख सचिव के आदेश पर बीएसए ने इन शिक्षकों को कार्यभार ग्रहण कराने के लिए पत्र जारी किया है।
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा से शिक्षा सत्र 2004-05 में बीएड की डिग्री हासिल करने वाले शिक्षकों की जांच एसआईटी ने फर्जी डिग्री की शिकायत पर की थी एसआईटी की जांच के बाद 30 नवंबर 2019 को जिले के 77 शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया था।
एसआईटी ने 44 शिक्षकों के बीएड अंकपत्र और डिग्री फर्जी घोषित की थी जबकि 33 के अंकपत्र और डिग्री टेपर्ड घोषित किए थे 30 नवंबर 2019 को बर्खास्तगी के बाद में शिक्षक कोर्ट चले गए थे। कोर्ट ने इन्हें स्टे दे दिया था, जिसके बाद विभाग ने इन्हें कार्यभार ग्रहण करा दिया था। हाईकोर्ट में 15 महीने की सुनवाई के बाद 26 फरवरी 2021 को सभी 77 शिक्षकों को फिर से बर्खास्त किया गया। सभी शिक्षक फिर से सुप्रीम कोर्ट चले गए एक जुलाई 2021 को 44 शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट ने स्टे देते हुए वेतन जारी करने के निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट की अवमानना से बचने के लिए बीएसए ने सभी को वेतन तो जारी कर दिया, लेकिन अगली सुनवाई तक ज्वाइनिंग नहीं कराई
22 फरवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों को वेतन के साथ ही विद्यालय में ज्वाइनिंग कराने के आदेश दिए। प्रमुख सचिव बेमिक शिक्षा परिषद ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बीएसए को संबंधित शिक्षकों को कार्यभार ग्रहण कराने के लिए पत्र लिखा पत्र प्राप्त होने के बाद बीएसए ने बृहस्पतिवार को जिले के फर्जी डिग्री की सूची में शामिल 44 शिक्षकों में से 41 को कार्यभार ग्रहण कराने के आदेश पत्र जारी कर दिए बीएसए ने बताया कि एक शिक्षक कोर्ट नहीं गया था। वहीं, एक
शिक्षक जेल में किसी मामले में बंद है। जबकि एक शिक्षक गलती से फर्जी डिग्री की सूची में शामिल हुआ था, वह टैपर्ड डिग्री वाला है।