हर जिले में होगा एक उच्च शिक्षण संस्थान, एक साथ दोहरे डिग्री कोर्स भी हो सकेंगे संचालित


नई दिल्ली,। उच्च शिक्षा को नई ऊंचाई देने और उसके सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को तेजी से बढ़ाने में जुटी सरकार का फोकस ऐसे संस्थानों को भी विकसित करने पर है, जहां देश के भविष्य को बेहतर ढंग से संवारा जा सके। इसके लिए प्रत्येक जिले में कम से कम एक ऐसा उच्च शिक्षण संस्थान खड़ा करने की तैयारी है, जिसमें शोध सहित सभी विषयों की पढ़ाई हो सके। फिलहाल 2030 तक सभी जिलों में ऐसे कम से कम एक बहुविषयक उच्च शिक्षण संस्थानों को तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।


यूजीसी ने बनाया रोडमैप

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों पर आगे बढ़ते हुए शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसको लेकर एक रोडमैप तैयार किया है। इसका ड्राफ्ट भी जारी किया है। साथ ही सभी उच्च शिक्षण संस्थानों, शिक्षाविदों और छात्रों से इस पर राय मांगी है। इसमें अलग-अलग विषयों की शिक्षा देने वाले संस्थानों को एक साथ जोड़ने सहित उनके बीच दोहरे डिग्री कोर्स भी शुरू करने का सुझाव दिया है।

चार साल का बीए-बीएड का कोर्स

इसका मतलब हुआ कि यदि कोई संस्थान सिर्फ बीए (बैचलर आफ आर्ट) की पढ़ाई कराता है और कोई सिर्फ बीएड (बैचलर आफ एजुकेशन) का कोर्स संचालित करता है, तो दोनों एक साथ जुड़कर चार साल का बीए-बीएड का कोर्स शुरू कर सकते हैं। इसी तरह बीएससी और एमबीए का पाठ्यक्रम चलाने वाले संस्थान भी बीएससी-एमबीए का एक संयुक्त कोर्स संचालित कर सकते हैं।

ज्यादा पाठ्यक्रम वाले संस्थान भी तैयार किए जाएंगे

इस नए प्रस्तावित मसौदे के तहत ऐसे संस्थानों को भी तैयार करने में मदद दी जाएगी, जो ज्यादा से ज्यादा पाठ्यक्रमों को चलाने में सक्षम हैं। फिलहाल इसके तहत ऐसे पाठ्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाएगा जो रोजगारपरक होंगे और उद्योगों में जिनकी मांग होगी। मौजूदा समय में विश्वविद्यालयों को छोड़ दें तो ज्यादातर कालेजों या उच्च शिक्षण संस्थानों में कुछ चु¨नदा पाठ्यक्रम ही संचालित होते हैं।

संस्थानों के बीच क्लस्टर तैयार करने का प्रस्ताव

बहुविषयक उच्च शिक्षण संस्थानों को तैयार करने के इस मसौदे में यूजीसी ने उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच एक क्लस्टर भी तैयार करने का प्रस्ताव किया है। इसमें तकनीकी, प्रबंधन, विज्ञान और मानविकी आदि विषयों से जुडे़ संस्थानों को आपस में जोड़ा जाएगा। सरकारी और निजी क्षेत्रों से जुड़े संस्थानों के लिए अलग-अलग क्लस्टर होंगे। इसकी एक कमेटी भी होगी। फिलहाल इस कमेटी के गठन का जिम्मा राज्यों पर होगा। जिसका कार्यकाल पांच साल का होगा।

संस्थानों के विलय का भी प्रस्ताव

इसके अलावा एक ही प्रबंधन से जुडे़ अलग-अलग विषयों से जुड़े उच्च शिक्षण संस्थानों का आपस में विलय करने का भी प्रस्ताव है। गौरतलब है कि मौजूदा समय में देश में उच्च शिक्षा का जीईआर करीब 27 फीसद है। इसे नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए सरकार ने 2035 तक पचास प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। उच्च शिक्षा में 27 प्रतिशत जीईआर का मतलब है कि इस आयुवर्ग (18-23) की कुल आबादी का 27 प्रतिशत छात्रों ने ही उच्च शिक्षा के लिए नामांकन कराया है।