2.5 प्रतिशत जनसंख्या वृद्धि दर के सापेक्ष स्कूलों में बच्चों के नामांकन का 20 फीसदी लक्ष्य शिक्षकों के लिए बना आफत

गोंडा। सालाना ढाई फीसदी की जनसंख्या वृद्धि दर के सापेक्ष स्कूलों में बच्चों के नामांकन का 20 फीसदी लक्ष्य शिक्षकों की मुश्किल बढ़ा रहा है। स्कूलों में नए बच्चों के नामांकन की अंधी दौड़ में जनसंख्या दर या अनुपात कोई मायने नहीं रखती। इसके चलते ही बच्चों के नामांकन के तय लक्ष्य को पाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग के 11 हजार शिङक बेहाल है। वह समझ नहीं पा रहे कि स्कूलों में दाखिला कराने के लिए नौनिहालों को कहां से ढूंढ कर लाए।


वाहवाही बटोरने के लिए विभाग अफसरों ने शिक्षकों को नवीन शैक्षिक सत्र में गत सत्र के मुकाबले बीस फीसदी अधिक बच्चों के नामांकन का लक्ष्य तय कर दिया है। इसे देखकर शिक्षक हैरान हैं कि जब जिले की वार्षिक जनसंख्या वृद्धि दर ही 2.7 फीसदी है तो ऐसे में 20 फीसदी नामांकन का लक्ष्य कैसे हासिल हो सकेगा। परेशान शिक्षकों का कहना है कि जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर को देखते हुए बच्चों के नामांकन में सिर्फ एक साल में बीस फीसदी का इजाफा कतई व्यवहारिक नही हो सकता है। उनका कहना है कि अगर किसी छोटे गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय में गत सत्र में कक्षा पांच उत्तीर्ण कर 30 बच्चे निकल गए हैं तो पहले इन 30 बच्चों की भरपाई करना होगी। इसके बाद इसमें बीस फीसदी का इजाफा भी करना होगा। विभागीय स्तर से गत वर्ष की पूरी छात्र संख्या के आधार पर ही 20 फीसदी बढ़ा दिया गया है।

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार साल 2013 के सर्वे रिपोर्ट में जिले की जन्म दर एक हजार के आधार पर 27.4 फीसदी तय की गई है। यदि इसे सैकड़े के आधार पर तय करें तो 2.7 फीसदी के करीब होगा। इसके बाद भी जिले भर के शिक्षक बच्चों के नामांकन अभियान के तय लक्ष्य को पूरा करवाने में जुटे हैं। (संवाद)
शिक्षकों की कमी हाशिए पर, लक्ष्य पर पूरा जोर ब्लॉक एवं विद्यालय वार बच्चों के नामांकन का लक्ष्य तय किया गया है। विद्यालयों में बच्चों के बैठने की जगह है या नहीं, मौजूद संसाधनों की स्थिति कैसी है, इन सभी की अनदेखी कर नामांकन लक्ष्य को तय कर दिया गया है। नामांकन लक्ष्य पूर्ण न होने पर बीएसए की ओर से खंड शिक्षा अधिकारियों से लेकर प्रधानाध्यापक और शिक्षकों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। जिले के 2628 स्कूलों में पहले से ही तीन हजार से अधिक शिक्षकों की कमी है। इसके साथ ही छात्र संख्या के आधार पर पढ़ाने के लिए करीब एक हजार कक्षों की भी कमी है। आठ सौ से अधिक स्कूलों में सहायक अध्यापक ही प्रधानाध्यापक का प्रभार भी संभाले है।


अब तक 55 हजार से अधिक नामांकन
कार्रवाई से बचने के लिए शिक्षक नामांकन लक्ष्य को पाने की कोशिश में जी जान से जुटे हैं। इसके चलते ही अब तक करीब 55 हजार बच्चों के नामांकन स्कूलों में हो चुके हैं। तय लक्ष्य को पाने के लिए अभी 30 हजार नामांकन और होने हैं। इसके साथ ही प्राथमिक स्कूलों से निकल चुके कक्षा पांच के छात्रों की भरपाई और जूनियर हाईस्कूलों में कक्षा आठ पास कर चुके छात्रों की भरपाई भी करना अभी बाकी है।
शासन स्तर से तय बच्चों के नामांकन का लक्ष्य पूरा करना है। इसके लिए जिले में शिक्षक हाउस होल्ड सर्वे करके नामांकन कर रहे हैं। लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। बीते सालों में छूटे बच्चे भी इसमें शामिल हैं, जिनका नामांकन होना है। डॉ. अखिलेश प्रताप सिंह, बीएसए

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