महराजगंज। परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति वैसे तो बच्चों को पढ़ाने के लिए हुई थी, लेकिन तमाम तरह के एप पर काम कराकर उन्हें क्लर्क यानी बाबू बना दिया गया है। हालत यह है कि शिक्षकों का अधिकतर समय इन एप पर विभिन्न तरह के डाटा को फीड करने में चला जाता है।
ऐसे में वह बच्चों को पढ़ाने का समय नहीं दे पा रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि इन कामों के लिए अलग से किसी बाबू की नियुक्ति की जानी चाहिए ताकि शिक्षक अपना मूल काम कर सकें।
जानकारी के अनुसार, बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से वर्तमान में छह से अधिक एप संचालित किए जा रहे हैं। इन एप पर विभिन्न तरह के डाटा फीड करने की जिम्मेदारी शिक्षकों को दी गई है। शिक्षक भी पढ़ाने का काम छोड़कर इसी में लगे रहते हैं।
अधिकतर शिक्षकों का कहना है कि उनकी तैनाती बच्चों को पढ़ाने के लिए हुई है, मगर हर दिन नए-नए एप के शुरू किए जाने से बच्चों को निपुण बनाने में समस्या आ रही है। उनका कहना है कि अधिकतर समय परिवार सर्वेक्षण और एप पर डाटा फीड करने में ही गुजर जा रहा है। ऊपर से सर्वर भी साथ नहीं देता है।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के सदर ब्लॉक के मंत्री अखिलेश पाठक ने बताया कि शिक्षकों का मूल कार्य बच्चों को शिक्षा प्रदान करना है। निपुण लक्ष्य को प्राप्त करने की स्थिति को देखते हुए उन्हें अन्य कार्यों में नहीं उलझाना चाहिए। शिक्षा से संबंधित विवरण के लिए पंचायत और ब्लॉक स्तर पर कर्मियों की तैनाती की जानी चाहिए।
शिक्षकों को इन एप पर कार्य करना होता है
- निपुण एप पर निपुण भारत मिशन से जुड़े कार्यों और गतिविधियों का डाटा फीड किया जाता है।
- शारदा एप पर आउट ऑफ स्कूल बच्चों के विवरण को फीड किया जाता है।
- समर्थ एप पर दिव्यांग बच्चों से जुड़ा विवरण फीड करना होता है।
- दीक्षा एप पर शिक्षकों के प्रशिक्षण से संबंधित गतिविधियों का विवरण फीड होता है।
- सरल एप पर परीक्षा से जुड़ी गतिविधियों का विवरण फीड होता है।
- रीड एलांग पर रीमिडियल टीचिंग से संबंधित गतिविधियों का विवरण फीड किया जाता है।
--शासन के निर्देश के क्रम में सभी एप का क्रियान्वयन कराया जाता है। शिक्षकों को इस कार्य के एवज में दिए जाने वाली सुविधा का निर्णय शासन को लेना है।
-आशीष कुमार सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी