मुद्दा : पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के लिए फिर होगी पेशबंदी


पुरानी पेंशन योजना की बहाली का बड़ा दबाव राजनीतिक दलों पर नजर आ रहा है। इंडिया गठंबधन में सपा व कांग्रेस इसे प्रमुखता से उठाने की तैयारी में हैं। राहुल गांधी अपनी न्याय यात्रा में इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठा चुके हैं। भाजपा भी केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी जो सुझाव व प्रस्ताव मिले हैं, उसके अध्ययन में जुटी है। कुल मिलाकर यह चुनाव कर्मचारियों के नजरिये से आशा की एक किरण के रूप में है। पुरानी पेंशन की बहाली के लिए आंदोलित कर्मचारियों की नजरें राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणापत्र पर लगी हैं। काबिलेगौर होगा कि सपा-कांग्रेस के साथ ही बसपा क्या अपने घोषणापत्र में इसे शामिल करेगी।


कैसे गुजरेगा बुढ़ापे में सुरक्षित जीवन: देश के पांच करोड़ कर्मचारी सीधे-सीधे पुरानी पेंशन बहाली, आठवें वेतन आयोग का गठन व आउटसोर्स कर्मियों की सेवा सुरक्षा की नियमावली पर राजनीतिक दलों का रुझान भांपने में लगे हैं। कर्मचारी सवाल उठा रहे हैं कि सरकार रिटायर होने के बाद उनके गुजर-बसर की क्या गारंटी देगी?

नई पेंशन अच्छी तो जन प्रतिनिधि क्यों नहीं ले रहे: सचिवालय संघ के अध्यक्ष अर्जुन देव भारती कहते हैं: नई पेंशन योजना इतनी ही अच्छी है तो राजनेता इसे खुद क्यों नहीं अपनाते हैं? सांसदों के साथ ही विधायक, विधान परिषद सदस्य सभी के लिए पुरानी पेंशन योजना ही है। वहीं 30-35 साल सेवा के बाद कर्मचारियों को इससे वंचित करने का काम किया गया है।

पुरानी पेंशन मुद्दे पर मोदी सरकार ने भी बनाई है समिति: इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्रा कहते हैं कि पश्चिम बंगाल, राजस्थान, केरल, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु की सरकारें कर्मचारियों को पुरानी पेंशन दे रही हैं। लगातार आंदोलनों के बाद पिछले साल मोदी सरकार ने इस मुद्दे पर रिपोर्ट देने के लिए वेतन समिति का गठन किया। कर्मचारी नेताओं ने समिति को बताया कि एनपीएस के तहत सरकारें जो 14 फीसदी अंशदान कर रही है, उतने से ही सरकारें पुरानी पेंशन दे सकती हैं।

वेतन से काटी राशि शेयर बाजार में लगाने का विरोध; राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी बताते हैं कि भारत सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी तेजी से काम कर रही है। बीते 14 मार्च को इस कमेटी की अहम बैठक भी हुई है।

2024-25 में पेंशन में 86487 करोड़
वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्रदेश सरकार ने करीब 12 लाख पुरानी पेंशन योजना से आच्छादित पेंशनर्स, पारिवारिक पेंशनर्स के लिए बजट में करीब 86487 करोड़ का प्राविधान किया है। इस प्रकार हर महीने यूपी सरकार पर पेंशन देने के लिए करीब 7207 करोड़ रुपये का खर्च आ रहा है। यूपी में करीब आठ से दस लाख कर्मचारी नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) से आच्छादित हैं। इसमें राज्य सरकार भी 14 फीसदी अंशदान करती है।


विधानसभा चुनाव में सपा ने इसे बनाया था मुद्दा
विधानसभा चुनाव में सपा ने इसे बनाया था मुद्दा
2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने इसे मुद्दा बनाया था। 2017 में सपा की सीटें 47 थीं तो 2022 में सपा और सहयोगियों की सीटें 125 पहुंच गईं।



विधायकों के वेतन-भत्ते में हुई है 926 फीसदी वृद्धि
1950 के दशक की तुलना में कर्मचारियों व शिक्षकों के वेतन में करीब 127 फीसदी की वृद्धि हुई है। जबकि विधायकों के वेतन भत्ते में इस दौरान करीब 926 फीसदी वृद्धि हुई ।



वर्ष 2005 से लागू हुई है नई पेंशन योजना
यूपी में 2005 में पुरानी पेंशन बंद कर दी गई थी। इसके बाद से सरकारी सेवा में आए सभी कर्मचारी नई पेंशन योजना (एनपीए) से आच्छादित हैं।


ईपीएस-95 के पेंशनरों को पेंशन मिलती है पर उन्हें मुफ्त चिकित्सा नहीं दी जाती। सभी को पं. दीनदयाल उपाध्याय कैशलेस चिकित्सा सुविधा से जोड़ना चाहिए।

राजीव भटनागर,राष्ट्रीय सचिव, ईपीएस-95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति