एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) का हीट इंडेक्स यानी गर्मी सूचकांक अब बताएगा कि वातावरण में गर्मी का असर कैसा है। लू या अन्य तापमान संबंधी स्थितियों से मानव जीवन को कितना खतरा है। सूचकांक से पता चल सकेगा कि आर्द्रता के खतरनाक स्तर से गर्मी कब जानलेवा बन सकती है। इसी सप्ताह से विश्वविद्यालय की ओर से हर रोज के हीट इंडेक्स की भी जानकारी लोगों को दी जाएगी।
आर्द्रता और अधिकतम तापमान से वास्तविक तापमान पर सीधा असर पड़ता है। अगर अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस है और आर्द्रता का स्तर शून्य है तो
लोगों को 31 डिग्री की गर्मी का अहसास होगा लेकिन इसी तापमान पर आर्द्रता 10 प्रतिशत होने पर 32, 20 प्रतिशत पर 34, 30 प्रतिशत पर 36 डिग्री के तापमान की गर्मी महसूस होगी। इसी तरह जब अधिकतम तापमान 38 और आर्द्रता का प्रतिशत 40 हो तो 43 डिग्री की गर्मी और आर्द्रता 50 प्रतिशत हो जाने पर 49 डिग्री की जानलेवा गर्मी सताएगी। 43 डिग्री तापमान पर 30 प्रतिशत आर्द्रता का स्तर भी जानलेवा बन सकता है क्योंकि तब 51 डिग्री की गर्मी का असर होगा।
विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञानी डा. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि मौसम में आर्द्रता और गर्मी के तापमान का संतुलन बिगड़ना बेहद खतरनाक है। गर्मी सूचकांक में तीन तरह के रंगों का प्रयोग किया गया है, जिससे गर्मी
के खतरे को आसानी से समझा जा सकेगा। इसमें लाल रंग को जानलेवा, पीले रंग के तापमान स्तर में देर तक गर्मी में रहना जानलेवा और हरे रंग को देर तक गर्मी में रहने से थकावट का कारक बताया गया है। देश में गर्मी से होने वाली मौतों से मौसम में घातक बदलाव के संकेत मिले हैं।
लू की स्थिति के लिए भारतीय मौसम विभाग के मानक
जब तक किसी स्थान का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी क्षेत्रों में कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस तक नहीं पहुंच जाता, तब तक हीट वेव यानी लू की स्थिति नहीं मानी जाती है। इसके अलावा वास्तविक तापमान अगर सामान्य तापमान स्तर से 4.5 डिग्री से अधिक हो तो भी लू की स्थिति मानी जाती है।