चुनाव निपटने के बाद बेसिक शिक्षकों को मिलेगा सिम, ऑनलाइन होगा काम

 

महराजगंज 

परिषदीय विद्यालयों के कामकाज को ऑनलाइन किए जाने के लिए शिक्षकों को टैबलेट दिया गया है। लेकिन सिम नहीं मिलने से शिक्षकों ने इससे काम करने से मना कर दिया था। अब शासन की ओर से शिक्षकों को सिम दिए जाने के निर्देश जारी हुए हैं। लोकसभा चुनाव बाद शिक्षकों को सिम दिया जाएगा। जिससे स्कूलों पर ऑनलाइन कामकाज शुरू हो जाएगा।




परिषदीय विद्यालयों पर सभी कार्यों को ऑनलाइन किए जाने के लिए अक्तूबर 2023 में विद्यालयों को 2737 टैबलेट दिए गए थे। इससे विद्यालयों के सभी 12 रजिस्टर को ऑनलाइन किया जाना था। अध्यापकों की हाजिरी भी ऑनलाइन होनी थी। लेकिन इसे संचालित करने के लिए सिम, इंटरनेट व आईडी का इस्तेमाल किए जाने को लेकर कोई गाइड लाइन नहीं जारी की गई थी।


अध्यापकों को अपना सिम व आईडी का इस्तेमाल किए जाने के लिए दबाव बनाया गया था। लेकिन अध्यापकों ने अपना सिम व आईडी इस्तेमाल करने से मना कर दिया। जिससे ऑनलाइन कार्य अब तक बंद है। अब शासन ने सिम खरीदकर अध्यापकों को दिए जाने का निर्देश दिया है। लेकिन लोकसभा चुनाव के कारण इसपर अमल नहीं हो सका।



चुनाव समाप्त हो जाने के बाद अध्यापकों के लिए सिम की व्यवस्था की जाएगी। जिससे रजिस्टर समेत अटेंडेंस ऑनलाइन करना होगा। बीएसए श्रवण कुमार गुप्ता ने बताया कि चुनाव बाद विद्यालयों पर ऑनलाइन कार्य के लिए सिम की व्यवस्था करा दी जाएगी।


ये रजिस्टर होने हैं ऑनलाइन


राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने टाइम एंड मोशन स्टडी के आधार पर विद्यालय पंजिकाओं का डिजिटाइजेशन कराने का निर्देश दिया था। इसमें शिक्षक डायरी को छोड़कर सभी 12 प्रकार की पंजिकाओं ऑनलाइन किया जाना है। इन सभी पंजिकाओं को मानव संपदा पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।


इसमें उपस्थिति पंजिका, प्रवेश पंजिका, कक्षावार छात्र उपस्थिति पंजिका, एमडीएम पंजिका, समेकित निशुल्क सामग्री विवरण पंजिका, स्टॉक पंजिका, आय-व्ययक एवं इश्यू पंजिका (बजटवार),बैठक पंजिका, निरीक्षण पंजिका, पत्र व्यवहार पंजिका, बाल गणना पंजिका, पुस्तकालय एवं खेलकूद पंजिका का डिजिटलीकरण किया जाना था। लेकिन अभी ऑनलाइन नहीं हो सका है।



सात माह से धूल फांक रहे टैबलेट


परिषदीय विद्यालयों को आवंटित 2737 टैबलेट सात माह से धूल फांक रहे हैं। अध्यापकों ने सिम, इंटरनेट व ईमेल आईडी खुद के नाम से लेने से मना कर दिया है। जिससे टेबलेट का इस्तेमाल अब तक नहीं हो सका है।