यूपीएस: 25 साल तक नियमित एनपीएस कटौती के बावजूद सरकारी कर्मियों को 50% पेंशन मिलना क्यों मुश्किल?

 


भारत सरकार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) का गजट जारी किया। कर्मचारी संगठनों ने इसे अपने हितों के खिलाफ बताया। नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) के अध्यक्ष मंजीत सिंह पटेल का कहना है कि सरकार ने बजट से पहले ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है। अब पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) ने यूपीएस के ड्राफ्ट रेगुलेशन के लिए सुझाव मांगे हैं।

वहीं, महाराष्ट्र राज्य जुनी पेंशन संघटना (NMOPS महाराष्ट्र) के सोशल मीडिया प्रमुख विनायक चौथे का कहना है कि यूपीएस कर्मचारियों के साथ बहुत बड़ा धोखा है। 25 साल तक नियमित एनपीएस कटौती के बावजूद 50% पेंशन मिलना मुश्किल है। इसके पीछे 'बेंचमार्क कॉर्पस' को मुख्य कारण बताया जा रहा है, जिससे पेंशन की पूरी योजना ही प्रभावित होगी।


पीएफआरडीए ने मांगे सुझाव, लेकिन गजट पहले क्यों जारी किया?

पीएफआरडीए ने यूपीएस के ड्राफ्ट रेगुलेशन पर स्टेकहोल्डर्स और पब्लिक से 17 फरवरी तक फीडबैक मांगा है। मंजीत सिंह पटेल का कहना है कि यह अजीब स्थिति है कि सरकार ने पहले गजट जारी किया और अब कर्मचारियों से सुझाव मांग रही है।

सरकार ने 24 अगस्त 2024 को वित्त सचिव की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर्मचारियों की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) के बाद पेंशन की शुरुआत और अंशदान की ब्याज सहित वापसी की मांग को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया था। अब यूपीएस के नियमों के तहत, 25 साल की सेवा पूरी होने के बाद ही वीआरएस मिलेगा और पेंशन पाने के लिए 60 साल की उम्र तक इंतजार करना होगा

अगर कोई कर्मचारी 45 साल की उम्र में वीआरएस लेता है, तो उसे पेंशन के लिए 15 साल इंतजार करना होगा। इससे कर्मचारियों में असंतोष बढ़ रहा है।


यूपीएस: 50% पेंशन का वादा, लेकिन सच्चाई कुछ और

विनायक चौथे के अनुसार, यूपीएस की गजट अधिसूचना कर्मचारियों के लिए उम्मीद से भी ज्यादा खराब निकली। अगस्त 2024 में जब यूपीएस की घोषणा हुई थी, तभी इसके बारे में कई तथ्य सामने आ चुके थे।

यूपीएस के तहत:

  • कर्मचारी को कम से कम 25 साल तक 10% अंशदान कटवाना होगा
  • पेंशन की गणना अंतिम 12 महीने की औसत बेसिक सैलरी के आधार पर होगी
  • 50% पेंशन तभी मिलेगी, जब कर्मचारी सुपर एन्युटी (58/60 वर्ष) तक नौकरी में रहे
  • यदि कर्मचारी ने वीआरएस ले लिया, तो पेंशन तुरंत शुरू नहीं होगी
  • अगर कर्मचारी की सेवा 25 साल से कम है, तो उसे आनुपातिक पेंशन मिलेगी (जैसे 20 साल सेवा पर 40% पेंशन)
  • न्यूनतम पेंशन ₹10,000 तय की गई है

लेकिन असली समस्या 'बेंचमार्क कॉर्पस' से जुड़ी है।


बेंचमार्क कॉर्पस: 50% पेंशन का सबसे बड़ा रोड़ा

सरकार ने 'बेंचमार्क कॉर्पस' नामक एक नया टर्म जोड़ा है। इसका मतलब है कि कर्मचारी के यूपीएस खाते में एक निश्चित रकम होनी चाहिए, तभी उसे 50% पेंशन मिलेगी।

लेकिन बेंचमार्क कॉर्पस की गणना कैसे होगी, इसका कोई स्पष्ट उल्लेख गजट में नहीं है। अनुमान के मुताबिक, यदि किसी कर्मचारी की अंतिम 12 महीने की औसत सैलरी ₹50,000 है, तो उसे ₹25,000 मासिक पेंशन के लिए कम से कम ₹60 लाख का कॉर्पस चाहिए

गणना:

  • वार्षिक पेंशन = ₹25,000 × 12 = ₹3,00,000
  • 5% वार्षिकी दर (एन्युटी रेट) के आधार पर:
    • ₹3,00,000 = B × 5%
    • B = ₹60,00,000 (60 लाख)

अगर कर्मचारी के खाते में ₹50 लाख ही जमा हो पाते हैं, तो उसे (50/60) × 25,000 = ₹20,833 पेंशन ही मिलेगी।


सरकार का नया जाल: व्यक्तिगत कॉर्पस बनाम पूल कॉर्पस

सरकार ने 'व्यक्तिगत कॉर्पस' की नई परिभाषा दी है, जिसमें सिर्फ कर्मचारी के 10% अंशदान और सरकार का 10% अंशदान जोड़ा जाएगा।

लेकिन सरकार के अतिरिक्त 8.5% अंशदान को 'पूल कॉर्पस' में डाल दिया जाएगा, जिसका उपयोग महंगाई भत्ता (DA) देने के लिए किया जाएगा

इसका सीधा असर यह होगा कि कर्मचारी को 50% पेंशन पाने के लिए अपने व्यक्तिगत कॉर्पस को ही बेंचमार्क कॉर्पस के टारगेट तक पहुंचाना होगा, जो लगभग असंभव है।

जो कर्मचारी प्रमोशन पाते हैं, उनके लिए अंतिम वेतन के आधार पर लक्षित पेंशन कॉर्पस (बेंचमार्क कॉर्पस) तक पहुंचना और भी कठिन होगा।


यूपीएस = कर्मचारियों के साथ धोखा?

विनायक चौथे कहते हैं कि यूपीएस का गजट पूरी तरह से एक धोखा है

जो लोग इसे सरकार का मास्टरस्ट्रोक बता रहे थे, उन्हें अब हकीकत समझ आ जानी चाहिए।

यूपीएस गजट में:

  • न वेतन आयोग का जिक्र है
  • न 80 वर्ष के बाद पेंशन वृद्धि का कोई नियम
  • 'पेंशन' शब्द की जगह 'सुनिश्चित भुगतान' (Defined Benefit) कहा गया
  • कर्मचारियों को 'पेंशनर' तक नहीं माना गया

सरकार कह सकती है कि वह भविष्य में महंगाई राहत (DA) देगी, लेकिन जब पूरा एनपीएस/यूपीएस कॉर्पस सरकार के पास ही रहेगा, तो यह सिर्फ एक और छलावा होगा।

 यूपीएस में 25 साल तक एनपीएस कटौती करवाने के बावजूद 50% पेंशन मिलना बेहद मुश्किल है। यह एक संगठित धोखाधड़ी है, जिसमें कर्मचारियों की मेहनत की कमाई को सरकार नियंत्रित करेगी, और पेंशन देने के लिए नई शर्तें जोड़ेगी