ड्रेस गुणवत्ता देखने के लिए परिषदीय शिक्षक करेंगे सत्यापन, मांगी रिपोर्ट

 

बुलंदशहर, परिषदीय स्कूलों में बच्चों को शासन की तरफ से दी गई डीबीटी की राशि से अभिभावकों ने उन्हें कैसी ड्रेस व अन्य सामग्री दिलाई है इसकी जांच होगी। प्रत्येक ब्लॉक में बीईओ, डीसी, एआरपी व शिक्षक इस कार्य को करेंगे। बच्चों को अभिभावकों ने शत-प्रतिशत ड्रेस दिलाई है या नहीं इसकी पूरी जानकारी गांवों में अभिभावकों से ली जाएगी। 



प्रदेश के कुछ जिलों में अभिभावकों द्वारा बच्चों को सामग्री नहीं दिलाई है और उन्होंने डीबीटी के पैसे को दूसरे कार्यों में खर्च कर लिया है। जिले में लगभग शत-प्रतिशत बच्चों के अभिभावकों के राशि पहुंच गई है। बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शासन द्वारा बच्चों को प्रत्येक वर्ष डीबीटी की राशि के रूप में 1200-1200 रुपये दिए जाते हैं। इस राशि से अभिभावक बच्चों को ड्रेस, जूते-मौजे, स्वेटर, बैग व स्टेशनरी दिलाते हैं। मौजूदा सत्र में जिले के दो लाख से अधिक अभिभावकों के खातों के डीबीटी की राशि पहुंच चुकी है। कुछ जिलों में बच्चों को अभिभावकों ने सामग्री नहीं दिलाई है। 



जिसके बाद अब शासन स्कूलों में बच्चों को दी जाने वाली ड्रेस की जांच कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी हैं। सभी जिलों में बीएसए को इसके लिए आदेश दिए गए हैं। बताया गया कि सभी ब्लॉकों के खंड शिक्षा अधिकारियों द्वारा एआरपी व डीसी के साथ स्कूलों में पहुंचकर बच्चों से ड्रेस, स्वेटर व अन्य सामग्री खरीदने के बारे में जानकारी दी जाएगी। अभिभावकों ने बच्चों को सामान दिलाया है या पिछले साल का है इसके बारे में शिक्षक बच्चों से पूछताछ कर विभाग को रिपोर्ट देंगे। 



जिले के 1869 स्कूलों में 2.20 लाख से अधिक छात्र पढ़ रहे हैं। विभाग की मानें तो स्कूलों में लगभग सभी बच्चों को डीबीटी की राशि का लाभ दिया जा चुका है। बीएसए डा. लक्ष्मीकांत पांडे्य ने बताया कि जिले में सत्यापन का कार्य डीबीटी की राशि आने के बाद से चल रहा है। अभिभावकों ने बच्चों को ठीक प्रकार का सामान दिलाया है। कुछ बच्चे अभी डीबीटी से वंचित हैं तो इन पर कार्य चल रहा है। शासन के आदेश हैं तो स्कूलों में तेजी से सत्यापन कार्य कर रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी।