टर्म प्लान पर जीएसटी और आईटीसी में संभावित कटौती: जानिए कैसे मिलेगी राहत?
सरकार टर्म इंश्योरेंस प्लान पर लगने वाले जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) की दर को 18% से घटाकर 5% करने पर विचार कर रही है। इसके साथ ही इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) में भी संशोधन किया जा सकता है। इस कदम का उद्देश्य महंगे इंश्योरेंस प्रीमियम से आम लोगों को राहत देना है। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अगुवाई वाली मंत्रियों की समिति ने इस प्रस्ताव के राजस्व और टैक्स पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन करने के लिए फिटमेंट समिति को जिम्मेदारी सौंपी है। साथ ही, बीमा उद्योग की प्रतिक्रिया जानने के लिए इंश्योरेंस रेगुलेटरी अथॉरिटी (IRDAI) को भी शामिल किया गया है। IRDAI की रिपोर्ट इसी महीने के अंत तक आने की उम्मीद है, जिसके बाद मंत्रिसमूह अपनी सिफारिशें जीएसटी परिषद को भेजेगा।
लोगों को कैसे मिलेगा फायदा?
यदि टर्म प्लान पर जीएसटी और आईटीसी में कटौती होती है, तो इंश्योरेंस प्रीमियम की लागत कम हो जाएगी। वर्तमान में पॉलिसीधारकों को 18% जीएसटी देना पड़ता है, जो घटकर 5% हो सकता है। इससे मध्यम वर्ग के लिए इंश्योरेंस खरीदना आसान होगा और उनकी जेब पर बोझ कम होगा। हालांकि, बीमा कंपनियों का मानना है कि आईटीसी हटाने से उनके ऑपरेशनल खर्च बढ़ सकते हैं, जिसका असर प्रीमियम की कीमतों पर पड़ेगा।
बीमा कंपनियों की चिंता और मांग
बीमा क्षेत्र ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) और IRDAI के समक्ष अपनी चिंताएं रखी हैं। उद्योग का तर्क है कि आईटीसी के बिना टर्म प्लान जैसे उत्पाद महंगे हो जाएंगे। उन्होंने 12% जीएसटी के साथ आईटीसी बरकरार रखने की मांग की है। CBIC के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने हाल ही में कहा कि IRDAI इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
मंत्रिसमूह में कौन-कौन शामिल?
सितंबर 2024 में गठित 13 सदस्यीय समिति में उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य, केरल के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल, राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह, कर्नाटक के राजस्व मंत्री कृष्ण बायरे गौड़ा, और गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद पी सावंत जैसे प्रमुख नेता शामिल हैं।
टर्म इंश्योरेंस क्या है?
टर्म इंश्योरेंस एक साधारण जीवन बीमा पॉलिसी है, जो एक निश्चित अवधि के लिए बीमाधारक के जीवन को सुरक्षा प्रदान करती है। यदि पॉलिसी अवधि के दौरान बीमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो नॉमिनी को डेथ बेनिफिट का भुगतान किया जाता है। यह पॉलिसी अन्य बीमा उत्पादों की तुलना में किफायती होती है और विशेष रूप से परिवार के वित्तीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाई जाती है।
सरकार का यह कदम इंश्योरेंस की पहुंच को व्यापक बनाने और वित्तीय सुरक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।