प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने षड्यंत्र, धोखाधड़ी और गबन के आरोपी शांति विद्यापीठ जूनियर हाईस्कूल बेंदो करछना प्रयागराज के प्रबंधक रहे रजनीकांत शुक्ल व एक अन्य की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है। कोर्ट ने कहा कि याची का 34 आपराधिक केसों का इतिहास है। अभी किसी मामले में उसे सजा नहीं मिली है। एफआईआर छह साल बाद हुई है और ट्रायल शीघ्र पूरा होने की उम्मीद नहीं है। इसलिए याची जमानत पाने का हकदार हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता ने याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डीएस मिश्र और अधिवक्ता एके मिश्र व सीके मिश्र को सुनकर दिया है।
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मामले के तथ्यों के अनुसार शिखा मिश्रा ने आठ अगस्त 2022 को जार्जटाउन थाने में एफआईआर दर्ज कराकर आरोप लगाया कि विद्यालय ने सहायक अध्यापक अंग्रेजी पद का विज्ञापन निकाला। याची ने उसके लिए आवेदन किया। वह स्कूल गई तो प्रबंधक उसे अपने घर ले गया। वहां परिवार के साथ बातचीत हुई। नियुक्ति के लिए 20 लाख रुपये की मांग की। बाद में 15 लाख रुपये में बात तय हुई। पीड़िता ने रकम दे दी। उसे नियुक्ति पत्र भी जारी किया गया लेकिन कहा कि बकाया पांच लाख रुपये देने पर ही ज्वाइन कराया जाएगा। पैसा न द पाने पर याची को ज्वाइन नहीं कराया और छह साल बीत जाने के बावजूद न ही पैसा वापस किया। इस पर एफआईआर दर्ज कराई गई है।
याची ने आरोप को निराधार व झूठा बताते हुए कहा कि 17 जून 2021 को पीड़िता के रिश्तेदार ने याची का अपहरण कर लिया था, जिसकी एफआईआर दर्ज है। रिश्तेदार गिरफ्तार किया गया है।यह एफआईआर पेशबंदी में दर्ज कराई गई है।
याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डीएस मिश्र का कहना था कि पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है। अदालत ने उस पर संज्ञान भी ले लिया है लेकिन अभी किसी गवाह का परीक्षण नहीं किया गया है। ट्रायल शीघ्र पूरा होने की उम्मीद नहीं है। अनिश्चित काल तक जेल में कैद रखना अनुच्छेद 21 के मूल अधिकारों का उल्लघंन है। याची का आपराधिक इतिहास है लेकिन किसी में सजा नहीं मिली है।
सरकारी वकील ने आपराधिक इतिहास का तथ्य बताते हुए कहा कि याची अपराध करने का आदी है इसलिए लिए गए पैसे का 25 फीसदी जमा कराया जाए। कोर्ट ने कहा कि अभी तय नहीं पैसा लिया या नहीं, जमानत अर्जी पर पैसा जमा करने का आदेश नहीं दिया जा सकता।