मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शनिवार सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में शिक्षक और मेधावियों के सम्मान समारोह कार्यक्रम में शिक्षकों को नेशन फर्स्ट का भाव लेकर काम करने की सीख दी।
सीएम योगी ने कहा कि ज्ञान बांटने के साथ ही शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वह राष्ट्रधर्म, संस्कृति और संस्कार के बारे में भी विद्यार्थियों को शिक्षा दें। देश की सुरक्षा और संस्कृति बचाने में केवल प्रशासनिक अधिकारियों और सेना के जवानों की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि शिक्षकों की भी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। नैतिक मूल्यों और संस्कारों को बचाने के लिए शिक्षक अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि धरती हमारी माता है और हम सब उसके पुत्र हैं, इस भावना के साथ हम सभी को देश की तरक्की को लेकर काम करना चाहिए।
सोशल मीडिया पर सेना का मनोबल बढ़ाने की जरूरत
मुख्यमंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया को देखकर कभी-कभी बुरा लगता है। कुछ लोग उसके माध्यम से देश को तोड़ने और सेना के मनोबल को गिराने का कार्य करते हैं। इससे हमें बचाना चाहिए। देश है तो हम हैं, इस भावना को हर देशवासी को अपने जेहन में रखना होगा।
सीएमएस के बच्चों द्वारा पेश की गई नृत्य नाटिका आदियोगी के मंचन की तारीफ करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हमारी सांस्कृतिक परंपरा है, जिसे बच्चों ने जीवंत मंचन कर हमारी संस्कृति और संस्कारों को दिखाने का प्रयास किया है। महाकुंभ के आयोजन की दास्तां और गंगा के अवतरण के जीवंत दृश्य हमारे ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को दर्शाती है। मुख्यमंत्री ने कहा यदि मां गंगा न होती तो क्या होता? मां गंगा-जमुना न केवल देश की समृद्धि में योगदान करती हैं, बल्कि हमारी धरती को भी बचाने का कार्य ही करती है।
शिक्षक करें ये कार्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि सीएमएस की स्थापना जिस भावना से की गई है शिक्षक उसे आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं। 65 हजार से अधिक विद्यार्थी समाज को एक नई दिशा और संस्कार देने का कार्य करें । मैं सभी शिक्षकों और मेधावियों को शुभकामनाएं देता हूं। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य शिक्षा के क्षेत्र में अधिक अंक पाना ही हमारा नहीं होना चाहिए। हम हर क्षेत्र में आगे बढ़कर अपना योगदान कर सकते हैं। ऐसे में शिक्षकों को संस्कार और सांस्कृतिक विरासत, राष्ट्र धर्म व देशभक्ति के बारे में भी विद्यार्थियों को जानकारी देनी होगी।
सीएमएस की संस्थापिका डा. भारती गांधी और डा. गीता गांधी के साथ ही सभी शिक्षकों का प्रयास शिक्षा और संस्कारों को आगे बढ़ाने में कारगर साबित होगा। दादा-दादी और नाना-नानी के साथ बैठकर बच्चों को जो संस्कार मिलते थे, उसमें कमी आई है, इस कमी को शिक्षक पूरा कर सकते हैं।