लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसला में कहा कि इंश्योरेंस एक्ट के तहत पॉलिसी में दर्ज नॉमिनी हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत कानूनी उत्तराधिकारी के अधिकार को प्रभावित नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के प्रावधान इंश्योरेंस एक्ट पर प्रबल होंगे।
न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने यह फैसला उन्नाव की कुसुम की याचिका को खारिज करके दिया। याची का कहना था कि उसने अपनी बेटी रंजीता के नाम से 15
कहा, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के प्रावधान इंश्योरेंस एक्ट पर प्रबल होंगे
जीवन बीमा पॉलिसी ले रखी थीं, बाद में उसकी शादी हो गई और दुर्भाग्य से 1 सितंबर 2021 को उसकी मृत्यु हो गई। रंजीता की मृत्यु के समय उसकी 11 माह की बेटी थी।
याची का कहना था कि पॉलिसी में वह नॉमिनी थी, पर उसके दामाद ने अपने व नातिन की ओर से सिविल वाद दायर कर पॉलिसी पर उत्तराधिकार का दावा किया। बाद में मामला लोक अदालत में चला गया
और फैसला दामाद व नातिन के पक्ष आया। इसके विरुद्ध याची ने पुनरीक्षण प्रार्थनापत्र दाखिल किया, पर पुनरीक्षण अदालत ने याची को बीमा पॉलिसियों की रकम मृतका की पुत्री के नाम से उसके 18 वर्ष का होने तक के लिए एफडी करने का आदेश दिया।
याची ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने याची की दलील को अस्वीकार करते हुए कहा कि नॉमिनी पॉलिसी से प्राप्त रकम का स्वामी नहीं होता। ऐसे विवाद की स्थिति में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के प्रावधान इंश्योरेंस एक्ट पर प्रबल होंगे।