जांच पूरी नहीं पर पदोन्नति की तैयारी
प्रयागराज, अपर निजी सचिव (एपीएस) भर्ती 2010 में धांधली मामले में एक तरफ सीबीआई चार साल से प्रदेश लोक सेवा आयोग से तीन संदिग्ध कार्मिकों के खिलाफ जांच की अनुमति और दस्तावेज मांग रहा है तो वहीं दूसरी ओर शासन में इन चयनितों की पदोन्नति की तैयारी है।
सचिवालय प्रशासन की ओर से 19 जून को एपीएस भर्ती 2010 में चयनित और उत्तर प्रदेश सचिवालय में पदस्थ तकरीबन 234 अपर निजी सचिवों की वरिष्ठता सूची जारी करते हुए आपत्ति मांगी गई है। पदोन्नति को लेकर 19 मई को सचिवालय प्रशासन विभाग, कार्मिक विभाग, न्याय विभाग और गृह विभाग के अधिकारियों की बैठक भी हो चुकी है। यह स्थिति तब है जबकि पदोन्नति का विरोध हो रहा है। प्रतियोगी छात्र लगातार शासन के अधिकारियों पर मिलीभगत करके दागी एपीएस को अनुचित फायदा पहुंचाने और सीबीआई जांच को प्रभावित करने का आरोप लगाते हुए उनकी भूमिका की जांच की मांग करते आ रहे हैं। प्रतियोगियों का कहना है कि चयनित अभ्यर्थियों के कार्यभार ग्रहण करने बाद सीबीआई की ओर से चार अगस्त 2021 को दर्ज एफआईआर में लिखा है कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में पाया गया है कि आयोग के अधिकारियों और कार्मिकों ने आपराधिक साजिश करके अयोग्य अभ्यर्थियों का चयन किया है।
ऐसी स्थिति में सचिवालय प्रशासन विभाग को सीबीआई से जांच के निष्कर्ष प्राप्त करके अवैधानिक तरीके से नौकरी हासिल करने वाले अपर निजी सचिवों की सेवा समाप्ति की कार्रवाई करनी चाहिए थी लेकिन अधिकारियों ने दागी एपीएस से मिलीभगत करके उनको निजी सचिवों के पद पर प्रमोशन देने की नियम विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है। प्रतियोगियों ने सीबीआई जांच पूरी होने तक प्रमोशन की प्रक्रिया को तत्काल रोकने और तथ्यों को छिपाकर नियम विरुद्ध प्रस्ताव प्रस्तुत करने वाले सचिवालय प्रशासन विभाग के अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की है।
लोक सेवा आयोग की सीबीआई जांच के विभिन्न चरण
-20 जुलाई 2017 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोक सेवा आयोग की सीबीआई जांच कराने की घोषणा की
-31 जुलाई 2017 को इस सम्बन्ध में केंद्र सरकार से सिफारिश की गई
-21 नवम्बर 2017 को केन्द्र सरकार के कार्मिक व पेंशन मंत्रालय ने यूपीपीएससी की सीबीआई जांच की अधिसूचना जारी की
-25 जनवरी 2018 को जांच अधिकारी एसपी सीबीआई राजीव रंजन ने लखनऊ में मामला दर्ज करते हुए जांच शुरू की
-31 जनवरी 2018 को राजीव रंजन का आयोग परिसर में आयोगकर्मियों के भारी विरोध के बीच प्रवेश हुआ तथा कागजों की तलाशी शुरू हुई
-28 फरवरी 2018 को आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष अनिरुद्ध यादव की वह याचिका खारिज हुई जिसमें सीबीआई जांच रोकने का अनुरोध किया गया था। अनिरुद्ध यादव सुप्रीम कोर्ट भी गए लेकिन वहां भी जांच रोकने से इनकार कर दिया गया।
-5 मई 2018 को सीबीआई टीम ने आयोग के विरुद्ध पहली एफआईआर दर्ज कर भारी फोर्स के साथ आयोग पर रेड किया और अहम दस्तावेज सील किए।
-19 जून 2018 को पत्र सीबीआई की जांच टीम ने उत्तर प्रदेश शासन को पत्र लिखकर अपर निजी सचिव भर्ती 2010 में मिली भारी गड़बड़ी की जांच की अनुमति मांगी।
-4 सितंबर 2018 को प्रदेश सरकार ने अपर निजी सचिव भर्ती परीक्षा के सम्पूर्ण परिणाम के जांच का अनुमोदन गृह मंत्रालय को भेज दिया।
-17 नवम्बर 2018 को अचानक गृह मंत्रालय ने जांच अधिकारी राजीव रंजन को सीबीआई से हटाकर उनके गृह प्रदेश सिक्किम भेजने का निर्देश दिया।
-14 फरवरी 2019 को एपीएस भर्ती 2010 की जांच के लिए मामला दर्ज
-15 जुलाई 2020 को आरओ/एआरओ 2013, पीसीएस 2013, प्रांतीय न्यायिक सेवा 2013, मेडिकल अफसर परीक्षा 2014 का मामला दर्ज
-04 अगस्त 2021 में एपीएस 2010 भर्ती में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की
एपीएस मामले में प्रमोद तिवारी ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
प्रयागराज। राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता सांसद प्रमोद तिवारी ने भर्ती घोटाले में लोक सेवा आयोग के सीबीआई को सहयोग न देने के मामले में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सामयिक और त्वरित कार्यवाही करने का आग्रह किया है जिससे लाखों छात्रों को लाभ मिल सके। उन्होंने कहा है कि भर्ती घोटाले के बाद बड़ी संख्या में अभ्यर्थी, छात्र एवं सामाजिक व राजनैतिक संगठन पूरी शक्ति के साथ इसके खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे। भाजपा ने इसे बड़ा राजनैतिक मुद्दा भी बनाया था। वर्ष 2017 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद इसकी जांच सीबीआई से कराने की उत्तर प्रदेश सरकार ने संस्तुति की और 2019 से सीबीआई ने इसकी जांच भी शुरू की। परन्तु जिस यूपीपीएससी भर्ती घोटाले की जांच के आन्दोलन में शामिल होकर भाजपा ने उसका राजनैतिक लाभ कमाया और सत्ता में आयी अब वही उत्तर प्रदेश सरकार इस प्रकरण की जांच में अपेक्षित सहयोग नहीं कर रही है, तथा जांच में रोड़ा बनी हुई है।