14 June 2025

शिक्षकों के हजारों रिक्त पद दबा ले गए अधिकारी, इस तरह किया खेल

ऑनलाइन सूची में सिर्फ 150 पद खाली दिखाई दे रहे, प्रदेश भर में शिक्षकों-प्रधानाचार्यों के 28,535 पद हैं रिक्त


 प्रयागराज,। प्रदेश के 4512 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों और प्रधानाचार्यों के ऑनलाइन स्थानान्तरण के लिए हजारों रिक्त पदों की सूचना प्रबंधकों और अफसरों ने पोर्टल पर अपलोड नहीं की। शिक्षा निदेशालय की ओर से पिछले साल शासन को भेजी गई सूचना के मुताबिक इन कॉलेजों में सहायक अध्यापकों या प्रशिक्षित स्नातक (टीजीटी) के स्वीकृत 70803 पदों में से 20999 और प्रवक्ता के स्वीकृत 22220 पदों में से 4703 खाली हैं।



प्रधानाचार्य और प्रधानाध्यापकों के 4512 पदों में से महज 1679 पद भरे हुए हैं और आधे से अधिक 2833 खाली हैं।


इस प्रकार शिक्षकों और प्रधानाचार्यों के कुल 28,535 पद रिक्त हैं। इनमें से तीन साल पहले विज्ञापित टीजीटी पीजीटी के 4163 पदों को हटा दें और ऑफलाइन तबादले के लिए चार हजार पदों पर अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) जारी होना मान लिया जाए

तो भी 20 हजार से अधिक पदों का विकल्प शिक्षकों को ऑनलाइन आवेदन लिए मिलना चाहिए। हालांकि प्रबंधकों और जिला विद्यालय निरीक्षकों ने शिक्षकों और प्रधानाचायों के कुल 6104 पद ही पोर्टल पर प्रदर्शित किए हैं। शहरी क्षेत्र के अधिकांश स्कूलों के प्रबंधकों ने रिक्त पदों की सूचना नहीं भेजी है, ताकि ऑफलाइन तबादले की एनओसी के नाम पर कमाई कर सकें।


माध्यमिक शिक्षक संघ ठकुराई गुट


के प्रदेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी का कहना है कि प्रदेश के लगभग साढ़े चार हजार एडेड माध्यमिक विद्यालयों में से 40 से 50 प्रतिशत में प्रधानाचार्य के पद रिक्त हैं, किंतु ऑनलाइन में केवल डेढ़ सी विद्यालय प्रदर्शित हो रहे हैं। प्रयागराज के 181 विद्यालयों में से केवल दो विद्यालय के प्रधानाचार्य का पद रिक्त दिखाया गया है। प्रधानाचार्य के ये सभी पद प्रबंधकों और जिला विद्यालय निरीक्षकों ने रोक लिया है।


बस्ती में सर्वाधिक 314, सोनभद्र में सबसे कम छह पद रिक्त

प्रयागराज। एडेड कॉलेज के शिक्षकों और प्रधानाचार्यों के ऑनलाइन स्थानान्तरण के लिए पोर्टल पर 6104 रिक्त पद प्रदर्शित किए गए हैं। इनमें बस्ती में सर्वाधिक 314 जबकि सोनभद्र में सबसे कम छह पद दिखाई पड़ रहे है। अलीगढ़ में 239, गोरखपुर 202, मेरठ 200 और देवरिया 198 पद तबादले के लिए खोले गए हैं। अधिकांश पद उन स्कूलों के दिखाए गए हैं जो सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में स्थित हैं और जहां कोई शिक्षक जाना नहीं चाहता