*🔴 श्रेय की होड़ में भूले गए 9081 प्रधानाध्यापक – क्या कोई सुनेगा उनकी पीड़ा?*
आज जो भी संघ, संगठन या व्यक्ति यह दावा कर रहे हैं कि "हमारी कोशिश से समायोजन 2.0 में प्रधानाध्यापक सरप्लस नहीं हुए", उनसे एक बहुत ही कड़वा लेकिन जरूरी सवाल है —
👉 क्या आप उन 9081 प्रधानाध्यापकों की रातों की नींद, सम्मान और वो पद लौटा सकते हैं, जिन्हें समायोजन 1.0 ने निगल लिया?
वो प्रधानाध्यापक जिन्होंने बच्चों को पहला अक्षर सिखाया था,
वो जिनके हस्ताक्षर से प्रमाणपत्र बनते थे,
वो आज अपनी पहचान खो चुके हैं...
कई प्रधानाध्यापक तो अपने सम्मान को बचाने के लिए खुद ही उच्च प्राथमिक विद्यालयों में चले गए,
कहीं ऐसा न हो कि सरकार उन्हें और दूर न फेंक दे!
कुछ डर से गए, कुछ दबाव में,
कुछ को कहा गया — "सरप्लस हो जाओगे, निकल लो…"
और वे निकल गए…
अपने ही विद्यालय से बेघर होकर।
📍 अब उनका वो पद ही खत्म कर दिया गया है…
📍 और जिन विद्यालयों में वो थे, वहां अब पद भी नहीं, न भविष्य।
❗ सवाल यह नहीं कि समायोजन 2.0 में क्या बचा लिया गया…
❗ सवाल यह है कि समायोजन 1.0 में कितना कुछ खो दिया गया।
क्या अब कोई संगठन उन 9081 स्कूलों में प्रधानाध्यापक के पद फिर से सृजित करवा पाएगा?
क्या कोई भरोसा दिला पाएगा कि उन्हें फिर से पदोन्नति मिलेगी, उनका स्थान, उनकी गरिमा लौटेगी?
📣 यह केवल पद की नहीं, आत्म-सम्मान की लड़ाई है।
✊ अभी तक लड़ाई अधूरी है — जब तक हर वह प्रधानाध्यापक, जिसने अपना विद्यालय छोड़ा,
फिर से उसी पद पर लौटे — सम्मान के साथ, अधिकार के साथ।
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🙏 यह केवल आंकड़ा नहीं — 9081 टूटे हुए सपने हैं।
अब सवाल ये है — क्या उनकी कोई सुनवाई होगी?
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#9081प्रधानाध्यापक_की_गूंज
#पदोन्नति_का_सम्मान_वापस_दो
#अवैध_समायोजन_1_0_का_जवाब_दो
#हर_प्रधानाध्यापक_की_लौटती_आवाज़
धन्यवाद
आवेश विक्रम सिंह
टीम राणा