उत्तर प्रदेश में मानसूनी बारिश में कमी आने के बाद, कहीं कहीं छिटपुट बूंदाबांदी को छोड़कर कहीं भी भारी बारिश नहीं हुई है। माैसम विभाग का कहना है कि चार दिन तक थोड़े ठहराव के बाद 11 सितंबर से प्रदेश के तराई इलाकों में दोबारा मानसूनी बारिश देखने को मिलेगी। पूर्वानुमान है कि दोबारा सक्रिय हुए मानसून के असर से कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, महराजगंज आदि में मध्यम से भारी बारिश होगी।
इधर बारिश में कमी आते ही यूपी में उमस भरी गर्मी लोगों को परेशान करने लगी है। रविवार को यूपी के 10 से ज्यादा जिलों में अधिकतम पारा 35 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया। आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि बीते कुछ दिनों से मध्य भारत की ओर विकसित अवदाब राजस्थान की ओर शिफ्ट हुआ है। 11 सितंबर से मानसूनी ट्रफ रेखा हिमालय की तलहटी होते हुए उत्तर की ओर खिसकेगी और तराई में मध्यम से भारी बारिश होगी।
पर बाढ़ अभी भी बनी है मुसीबत
उत्तर प्रदेश में गंगा, यमुना व अन्य नदियों का बढ़ा जलस्तर लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। अलीगढ़, बरेली, हाथरस, मथुरा व अन्य कई जिलों में पानी आबादी में घुस गया है। प्रशासन लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में मदद कर रहा है।
शाहजहांपुर में दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर बरेली मोड़ ओवरब्रिज के नीचे से लेकर मौजमपुर गांव तक करीब डेढ़ किमी दूरी तक पानी करीब दो फुट और तेज बहाव से बह रहा है। इससे वाहनों के आवागमन में दिक्कत हो रही है। शाम को बहाव और तेज हो गया। इससे दो पहिया वाहन और हल्के वाहन ऑटो और टेंपो का संचालन बंद हो गया। इसकी वजह से राहगीरों को काफी परेशानी हुई। लोगों को पानी से पैदल निकलना पड़ा।
प्रयागराज-वाराणसी में भी खतरा बढ़ा
प्रयागराज और वाराणसी में गंगा-यमुना का जलस्तर 82 मीटर को पार करने के साथ ही बाढ़ का पानी बस्तियों के करीब पहुंच गया है। अफसरों के अनुसार जलस्तर 84 मीटर तक पहुंच सकता है। यानी शहर का बड़ा इलाका एक बार फिर बाढ़ की चपेट में होगा। वहीं, वाराणसी में यमुना नदी में बाढ़ से सीजन में तीसरी बार गंगा का जलस्तर बढ़ा है। एक बार फिर दशाश्वमेध घाट स्थित जल पुलिस चौकी में बाढ़ का पानी घुस गया है। इसी तरह अस्सी घाट का सुबह ए बनारस मंच डूब गया।